
Access and Use of Mobile Phone in Daily Life
चेन्नई.
देश के प्रमुख शहरों में स्मार्ट फोन के रोजमर्रा की जिन्दगी में उपयोग के चौंकाने वाले परिणाम सामने आए हैं। नए अध्ययन के अनुसार कोरोना की वजह से लागू लॉकडाउन के बाद स्मार्ट फोन का दैनिक उपयोग 25 प्रतिशत तक बढ़ा है जो परिवार के सदस्यों के आपसी रिश्तों पर भी असर डाल रहा है।
यह अध्ययन स्मार्टफोन ब्रांड वीवो ने साइबर मीडिया रिसर्च से कराया। अध्ययन का क्षेत्र दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, बैंगलुरु, चेन्नई, हैदराबाद, अहमदाबाद व पुणे रहा जिसमें हर उम्र के लोग युवा, कामकाजी पेशेवर और गृहिणियां भी शामिल थीं और इनकी उम्र 15 से 45 के मध्य थी। कुल 2000 लोगों ने इस अध्ययन में भाग लिया जिनमें से 30 प्रतिशत महिलाएं और 70 प्रतिशत पुरुष थे।
'स्मार्टफोन्स और मानवीय संबंधों पर उनका असर-2020’ शीर्षक वाले इस अध्ययन ने दर्शाया है कि सोशल डिस्टेंसिंग के इस वर्ष में ग्राहकों पर मोबाइल उपकरणों का क्या असर रहा है। आज हमारी जिंदगी में स्मार्टफोन ही हमारे लिए विश्व का केन्द्र बन चुका है तो ज़ाहिर है कि समाज पर, लोगों के बर्ताव पर और दैनिक जीवन में इंसानी जुड़ाव पर इसका व्यापक प्रभाव हो रहा है। लॉकडाउन में घरों में बंद रहते वक्त स्मार्टफोन हमारी लाइफलाईन बन गया। हालांकि इसके अत्यधिक इस्तेमाल से लोगों को इसकी लत भी लग गई है।
नकारात्मक प्रभाव
रिपोर्ट पर वीवो इंडिया के निदेशक-ब्रांड रणनीति निपुण मार्या ने कहा, साल 2020 असामान्य और कल्पना से परे रहा। इस महामारी ने हमें सोशल डिस्टेंसिंग वाली जि़ंदगी में धकेल दिया, ऐसे में स्मार्टफोन ही एकमात्र ऐसा साधन था जो हर चीज़ का सेंट्रल नर्वस सिस्टम बन कर उभरा। स्मार्टफोन ने लोगों को काफी फ्लेक्सीबिलिटी दी लेकिन इसके अत्यधिक इस्तेमाल ने बुरी लत भी डाल दी है जिससे लोगों के आपसी संबंधों एवं व्यवहार पर नकारात्मक असर पड़ रहा है।
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अध्ययन के परिणाम
- 89 प्रतिशत ने कहा अत्यधिक इस्तेमाल प्रियजनों के साथ गुजारे जाने वाले समय पर दुष्प्रभाव डालता है
- 74 प्रतिशत प्रयोक्ताओं का मानना है कि परिवार के साथ वक्ता बिताना है तो समय पर मोबाइल फोन स्विच ऑफ कर देना चाहिए। 18 फीसदी ने ऐसा किया भी।
- 70 प्रतिशत भारतीयों का मानना है कि स्मार्टफोन का बढ़ता इस्तेमाल मानसिक/ शारीरिक सेहत पर बुरा असर डालेगा।
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कोरोनाकाल में स्मार्ट फोन
- स्मार्टफोन के उपयोग का औसत समय 25 प्रतिशत बढ़ गया
- लॉकडाउन के बाद, अप्रैल 2020 से प्रयोक्ताओं ने ओटीटी (59 प्रतिशत), सोशल मीडिया (55 प्रतिशत) और गेमिंग (45 प्रतिशत) पर समय गुजारा
- 79 प्रतिशत ने स्वीकार प्रियजनों से कनेक्टेड रहने का साधन माना
-88 प्रतिशत प्रयोक्ताओं ने माना कि वे लोगों के साथ होते हुए मोबाइल में व्यस्त रहे
Published on:
24 Dec 2020 06:46 pm
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