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संभवत: अब रेल से कटकर नहीं मरेंगे ‘गजराज’

पटरियों पर मौतों को रोकने के लिए एआइ चेतावनी प्रणाली    

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संभवत: अब रेल से कटकर नहीं मरेंगे ‘गजराज’

संभवत: अब रेल से कटकर नहीं मरेंगे ‘गजराज’


2008 से अब तक ट्रेन की चपेट में आने की घटनाओं में ग्यारह हाथियों की जान चली गई
कोयंबत्तूर. वन मंत्री एम मथिवेंथन ने कोयंबत्तूर में 7.24 करोड़ रुपए की लागत से लागू एक कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) सक्षम प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली लॉन्च की जो जंगली हाथियों की आवाजाही का पता लगाती है और ट्रेनों की चपेट में आने से बचाने के लिए अलर्ट भेजती है। कोयंबत्तूर में मदुक्कराई वन क्षेत्र के माध्यम से तमिलनाडु को केरल से जोड़ने वाले रेलवे ट्रैक की 'ए' और 'बी' लाइनों के किनारों पर 12 रणनीतिक स्थानों पर ऊंचे टावरों पर कैमरे लगाए गए हैं। मंत्री ने कहा कि 2008 से अब तक ट्रेन की चपेट में आने की घटनाओं में ग्यारह हाथियों की जान चली गई है। देश में पहली बार अपनाई गई यह एआई तकनीक ऐसी मौतों को कम करने में मदद करेगी। रेलवे पटरियों के अलावा कोयंबत्तूर डिवीजन में 2021 और 2023 के बीच मानव बस्तियों में हाथियों की घुसपैठ के 9,028 मामले दर्ज किए गए। एआई-सक्षम हस्तक्षेप इस मोर्चे पर भी मदद करेगा।

पर्यावरण, जलवायु परिवर्तन और वन विभाग की अतिरिक्त मुख्य सचिव सुप्रिया साहू ने कहा कि अपनी तरह की पहली परियोजना के तहत शामिल रेलवे लाइनों से लगभग 130 ट्रेनें गुजरती हैं और हर साल अकेले पटरियों पर 1,000 हाथी क्रॉसिंग दर्ज किए गए हैं। एआइ तकनीक ट्रेन की टक्कर को रोकने में बेहद मददगार होगी क्योंकि हाथियों ने खाई और सौर बाड़ जैसे पारंपरिक तरीकों को अपना लिया है। हाथियों की गतिविधियों पर निगरानी रखने के लिए ड्रोन का भी इस्तेमाल किया जाएगा।

इस तरह होगा कामयदि पटरियों के पास हाथी का पता चलता है तो एआई कैमरे रेलवे अधिकारियों, वन विभाग के अधिकारियों और नियंत्रण कक्ष को अलर्ट भेजेंगे। अधिकारियों ने कहा कि इससे वन विभाग को ड्राइविंग ऑपरेशन करने और लोको स्टाफ को हाथी से टकराने से बचाने के लिए ट्रेन की गति धीमी करने के लिए सचेत करने में मदद मिलेगी।