24 दिसंबर 2025,

बुधवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

दो मंत्री पद मांगे एक भी नहीं मिला!

- केंद्र सरकार में तमिलनाडु का कोई प्रतिनिधि नहीं- २० साल बाद पहला ऐसा मौका जब राज्य से कोई भी सांसद नहीं बना मंत्री

2 min read
Google source verification
AIADMK was not given berth in Modi cabinet

दो मंत्री पद मांगे एक भी नहीं मिला!

चेन्नई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी कैबिनेट ने गुरुवार को पद व गोपनीयता की शपथ ली। करीब दो घंटे तक चले इस कार्यक्रम में तमिलनाडु की निगाहें गड़ी थी कि सरकार में एआईएडीएमके के सांसदों को जगह मिलेगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ और अंत में सभी को निराशा हाथ लगी। बहरहाल, अगर राज्य के प्रतिनिधित्व की बात की जाए तो निर्मला सीतारमण ने मंत्री पद की शपथ ली है जिनका जन्म मदुरै में हुआ। लेकिन निर्मला सीतारमण कर्नाटक से राज्यसभा सांसद हैं।


लोकसभा चुनाव में तमिलनाडु में भाजपा को असंतोष की लहर का सामना करना पड़ा था। इस गठबंधन से केवल एआईएडीएमके ने एकमात्र सीट जीती। तमिलनाडु के उपमुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम के पुत्र रविन्द्रनाथ कुमार ने तेनी लोकसभा सीट से जीत दर्ज की।


पिछले कुछ दिनों से रविन्द्रनाथ कुमार को मंत्री पद दिलाने की जुगाड़ को लेकर चर्चाओं का बाजार गर्म था। मुख्यमंत्री ईके पलनीस्वामी और उपमुख्यमंत्री ओ. पन्नीरसेल्वम ने जोर आजमाइश की भी। इस बीच राज्यसभा सांसद आर. वैद्यलिंगम जो मुख्यमंत्री के खेमे से हैं ने खेल बिगाड़ा।


उन्होंने कथित रूप से पलनीस्वामी से कहा था कि अगर उनको कैबिनेट पद नहीं मिला तो वे पार्टी को दो फाड़ कर देंगे। लिहाजा भाजपा से दो मंत्री पद मांगे गए। संभवत: अंतिम समय तक इस पर सहमति नहीं बनी क्योंकि पीएम नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट कर दिया था कि वे एक सीट के बदले दो मंत्री पद नहीं दे सकते हैं।
कैबिनेट, स्वतंत्र प्रभार और केंद्रीय राज्य मंत्रियों ने जब शपथ ग्रहण शुरू किया तब सभी को इसी बात का इंतजार था कि तमिलनाडु को केंद्र सरकार में सहभागिता मिल ही जाएगी।

राज्य के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री और पूर्व लोकसभा उपाध्यक्ष एम. तम्बीदुरै शपथ ग्रहण समारोह में शामिल भी हुए थे। ऐेसे में जब केरल से भाजपा नेता वी. मुरलीधरन का नाम राज्य मंत्री के रूप में पुकारा गया तो उम्मीदें बढ़ गई कि अब तमिलनाडु का नाम अवश्य आएगा लेकिन ये धूमिल हो गईं।
दीगर बात यह है कि १९९९ से लेकर २०१९ तक केंद्रीय कैबिनेट में तमिलनाडु के सांसदों का नाम अवश्य रहा है। लेकिन गुरुवार को जिस कैबिनेट ने शपथ ली उसमें एक भी सांसद का नाम नहीं था। राज्य में वैसे भी इस बात को लेकर आशंका है कि भाजपा गठबंधन का पत्ता साफ हो जाने के बाद तमिलनाडु के साथ सौतेला व्यवहार होगा।