चेन्नई.
विपक्षी अन्नाद्रमुक के नेता ओ. पन्नीरसेल्वम (ओपीएस) और टीटीवी दिनकरन द्रमुक सरकार के खिलाफ एक साथ आ गए हैं। उन्होंने कोडनाड डकैती और हत्या मामले की जांच में स्टालिन के नेतृत्व वाली द्रमुक सरकार के सुस्त रवैये के खिलाफ पूरे दक्षिण तमिलनाडु में विरोध प्रदर्शन आयोजित किए। विपक्षी अन्नाद्रमुक के नेता ओ. पन्नीरसेल्वम (ओपीएस) तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री हैं, जबकि दिनकरन अन्नाद्रमुक से अलग हुए गुट अम्मा मक्कल मुनेत्र कझगम (एएमएमके) के महासचिव हैं।
मंगलवार को निकाला गया विरोध मार्च मुख्य रूप से द्रमुक और स्टालिन सरकार के खिलाफ था, जिसमें ओपीएस ने कोडनाड हत्या और डकैती की जांच में सरकार के सुस्त रवैये को लेकर मुख्यमंत्री के खिलाफ जमकर हमला बोला। ओपीएस ने तेनी में अपने भाषण में कहा कि स्टालिन ने 2021 के चुनाव अभियान के दौरान तमिलनाडु के लोगों से वादा किया था कि अगर वह सत्ता में आए तो कोडनाड डकैती और हत्या मामले के पीछे के रहस्य को उजागर करेंगे। हालांकि, सत्ता में दो साल रहने और कुछ लोगों से पूछताछ के बाद भी द्रमुक सरकार ने जांच को आगे नहीं बढ़ाया।
हालांकि, विरोध का मुख्य उद्देश्य एआईएडीएमके महासचिव और तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एडपाडि के. पलनीस्वामी (ईपीएस) को निशाना बनाना था।
ऐसे आरोप थे कि मामले का मुख्य आरोपी और जयललिता का पूर्व ड्राइवर कनगराज ईपीएस से जुड़ा था, जिसकी डकैती के तुरंत बाद एक सडक़ दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। कनगराज सेलम जिले के एडपाडि का मूल निवासी था जो एडपाडि पलनीस्वामी (ईपीएस) का ही गांव है।
हालांकि, ओपीएस और दिनकरन ने ईपीएस के खिलाफ कोई सीधा आरोप नहीं लगाया, लेकिन यह स्पष्ट था कि नेता ईपीएस और अन्नाद्रमुक को निशाना बना रहे थे। वहीं, 2024 के आम चुनावों के लिए ओपीएस और दिनकरन के हाथ मिलाने की संभावना है और वे एनडीए का हिस्सा बनने की कोशिश कर रहे हैं। गौरतलब है कि यह ईपीएस द्वारा कड़ा रुख अपनाया गया था, जिसके कारण ओपीएस, टीटीवी दिनकरन उनकी चाची (अन्नाद्रमुक के पूर्व अंतरिम महासचिव) को पार्टी से बाहर कर दिया गया था। शक्तिशाली थेवर समुदाय का समर्थन पाने वाले ओपीएस, शशिकला और टीटीवी दिनकरन दक्षिण तमिलनाडु में एआईएडीएमके के लिए मुसीबत बन सकते हैं।