
Binding works in a form of language
चेन्नई।भाषा लोगों को जोड़ती है। एक सूत्र में बांधने का काम करती है। दक्षिण भारत के साहित्यकारों के आर्थिक एवं सामाजिक आजादी के लिए दिए योगदान को भुलाया नहीं जा सकता है। इस तरह की संगोष्ठियां न केवल दक्षिण में बल्कि उत्तरी भारत में भी की जानी चाहिए ताकि अधिकाधिक लोगों को इसका लाभ मिल सके। दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा मद्रास के कुलपति प्रोफेसर राममोहन पाठक ने यह बात कही।
स्वतंत्रता आन्दोलन और दक्षिण भारतीय साहित्य विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का उद्घाटन करने के बाद बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे। श्री कृष्णास्वामी महिला महाविद्यालय चेन्नई एवं अखिल भारतीय साहित्य परिषद न्यास नई दिल्ली के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित संगोष्ठी में उन्होंने कहा कि दक्षिण भारतीय साहित्यकारों ने आजादी की लड़ाई की जिजीविषा को बहुत बल दिया।
अन्नानगर स्थित महाविद्यालय के कृष ऑडिटोरियम में आयोजित संगोष्ठी में पारस्परिक संवाद की दिशा में संगोष्ठी को एक अच्छी शुरुआत बताते हुए पाठक ने कहा कि दक्षिण के साथ उत्तर भारत में भी ऐसी ही संगोष्ठियां होनी चाहिए ताकि साहित्य को एक-दूसरे समझ सकें। इस बात पर उन्होंने चिंता जताई कि आज का साहित्य व मीडिया अलग-अलग खेमों में बंट चुका है। लेकिन स्वतंत्रता के समय आजादी हासिल करना ही केवल मिशन था।
दक्षिण भारत प्रचार सभा के बारे में उन्होंने कहा कि पिछले दिनों जब राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद एवं तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज प्रचार सभा के कार्यक्रम में शरीक हुई थीं तब उन्होंने कहा था कि दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के मद्रास समेत दक्षिण में चार केन्द्र है। इसकी मूल शक्ति प्रचार सभा के 20 हजार प्रचारक है। इसकी जानकारी उत्तर भारत में भी होनी चाहिए। महात्मा गांधी ने समूचे देश को जोड़ा था। गांधी आत्मिक विकास को महत्व देना चाहते थे।
सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ माइक्रो सेन्टर आगरा के सेवानिवृत्त क्षेत्रीय निदेशक डॉ. एम. ज्ञानम ने बीज वक्तव्य दिया। अखिल भारतीय साहित्य परिषद न्यास के मंत्री ऋषिकुमार मिश्र ने परिषद की गतिविधियों की जानकारी दी। श्री कृष्णास्वामी महिला महाविद्यालय के अनुज, महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. आर. गीतारानी भी उद्घाटन समारोह में विशेष रूप से मौजूद थी। डॉ. सुन्दर श्याम दुबे के वेद उच्चारण के साथ कार्यक्रम की शुरुआत की गई। पहले दिन दो सत्र आयोजित किए गए तथा कवि गोष्ठी एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया। कृष्णासामी महाविद्यालय की सहायक प्रवक्ता एवं कार्यक्रम की संयोजिका डॉ. के. आनन्दी ने अतिथियों का स्वागत किया।
संगोष्ठी की आयोजक एवं मनोमनियार सुन्दरनार विश्वविद्यालय तिरुनेलवेली के हिंदी विभाग की पूर्व आचार्य एवं अध्यक्ष डॉ. ए. भवानी ने बताया कि संगोष्ठी के दूसरे दिन 23 जून को भी दो सत्र के बाद समापन समारोह होगा। समाापन समारोह के मुख्य अतिथि एमसीसी महाविद्यालय के सेवानिवृत्त प्रोफेसर डॉ. पी.के. बालसुब्रमण्यम होंगे। अखिल भारतीय साहित्य परिषद न्यास के राष्ट्रीय संगठन मंत्री डॉ. श्रीधर पराडकर, महाविद्यालय के प्रबंध न्यासी एमएके बालकृष्णन विशिष्ट अतिथि होंगे।
इस अवसर पर हैदराबाद से डॉ. कासी रेड्डी व डॉ. विजय गोयल, विशाखापट्टनम से डॉ. शेषरत्नम, तिरुवनंतपुरम से डॉ. अच्चुतन एवं बेंगलुरु से डॉ. नबीन शर्मा व प्रो. प्रेम शंकर भी विशेष रूप से मौजूद रहेंगे।
उद्घाटन समारोह में दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के उच्च शिक्षा एवं शोध संस्थान की रीडर डॉ. नजीम बेगम, डॉ. संतोषी, डॉ. सुधा त्रिवेदी, डॉ. मंजू रुस्तगी, ड़ॉ. रविता भाटिया, डॉ. हुसैन वल्ली, डॉ. लोगेश्वर, डॉ. पी.आर. वासुदेवन, डॉ. मिथिलेशसि सिंह, डॉ. ईश्वरी, डॉ. पवनकुमारी, डॉ. सफरामा, डॉ. स्वाति पालीवाल, डॉ. सरस्वती, डॉ. प्रिया नायडू समेत कई शिक्षक, साहित्यकार एवं अन्य गणमान्य लोग मौजूद थे।
Published on:
23 Jun 2019 12:33 am
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