
चातुर्मास नए स्वरूप में, साधु-संतों के प्रवचन डिजीटल
चेन्नई. कोरोमा महामारी के बीच चातुर्मास डिजीटल हो गए हैं। न कोई आडम्बर न ही भक्तों की भीड़। सादगी के साथ चातुर्मास में लोग इस बार घर पर ही जप, तप व आराधना कर रहे हैं। चातुर्मास काल में आने वाली महापुरुषों की जयंतियां भी सादगी के साथ मनाई जाएगी। छोटे-बड़े शहरों में चातुर्मास के दौरान भक्तों की भीड़ उमड़ती है और ऐसे में सोशल डिस्टेंस पालन करना संभव नहीं हो पाता है। ऐसे में अधिकांश जगहों पर व्याख्यान टाल दिए गए हैं। इस बार जो साधु-संत जिन क्षेत्रों में विहार कर रहे हैं वहीं आसपास ही चातुर्मास कर रहे हैं।
इस बार चातुर्मास पांच महीने का
इस साल चातुर्मास के दौरान अधिक मास जिसे मलमास भी कहा जाता है वह लगने जा रहा है। यह अधिक मास आश्विन महीने में होगा जिससे इस साल दो आश्विन मास होंगे। इस बार चातुर्मास पांच महीने का है। पांच महीने शुभ काम वर्जित रहेंगे। देवशयिनी से देवप्रबोधिनी एकादशी के बीच का समय चातुर्मास है।
कई जगह डिजीटल रूप में
जैन संत अमूमन माइक, फोन, वीडियो, पंखे काम में नहीं लेते। लेकिन कई जैन साधु-संत व सनातन धर्मावलम्बी आजकल इन चीजों को उपयोग में लेने लगे हैं। ऐसे में कई जगह इस बार चातुर्मास डिजीटल रूप में होगा। यानी साधु-संतों के प्रवचन, विचार व संदेश यूट्यूब, फेसबुक, व्हाट्सएप व अन्य सोशल मीडिया के जरिए भक्तों तक पहुंच रहे हैं। ऐसे में इस बार की जगह आडियो-वीडियो से प्रसारण किया जा रहा है।
लोग घर पर ही कर रहे जप, तप, ध्यान
लोग चातुर्मास काल में घर पर ही रहकर धर्म-ध्यान लगा रहे हैं। वे यूट्यूब व अन्य सोशल फ्लेटफार्म के माध्यम से वीडियो सुन रहे हैं। चातुर्मास तो चल रहा है लेकिन चातुर्मास स्थल पर किसी तरह के व्याख्यान, प्रवचन का आयोजन नहीं किया जा रहा है।
चातुर्मास इस बार सादे रूप में
देशभर में करीब 14,400 साधु-साध्वियां हैं। इस बार चातुर्मास का रूप सादा है। किसी तरह का खर्च व आडम्बर नहीं किया जा रहा है। चातुर्मास के दौरान खर्च होने वाली राशि इस बार अन्य सेवा कार्य में लगाई जाएगी। चातुर्मास प्रवेश भी सादे स्तर पर हुए। जयंतियां भी इस बार सादे स्तर पर ही मनाई जाएगी।
सज्जनराज मेहता, पूर्व अध्यक्ष, जैन महासंघ।
जो साधु-संत जहां हैं वहीं कर रहे चातुर्मास
इस बार साधु प्रवर समिति ने निर्णय लिया है जो साधु-संत जहां हैं, वहीं चातुर्मास करेंगे। कोरोना महामारी के प्रकोप एवं लॉकडाउन के चलते बने हालात के कारण ऐसा किया गया है। सरकार की गाइडलाइन के अनुसार ही चातुर्मास के दौरान व्याख्यान व प्रवचनों को सीमित किया गया है और लोग घर पर रहकर ही स्वाध्याय कर रहे हैं। बाद में हालात अनुकूल होने पर ही व्याख्यान आयोजन को लेकर कोई निर्णय लिया जाएगा।
रमेश मूथा, अध्यक्ष, श्री जैन श्वेताम्बर नाकोड़ा पाश्र्वनाथ तीर्थ।
Published on:
02 Jul 2020 04:57 pm
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