
स्ट्रा की जगह लकड़ी की पाइप का इस्तेमाल कर रहे नारियल पानी विक्रेता
चेन्नई. राज्य सरकार के घोषणा के मुताबिक गत १ जनवरी से प्लास्टिक के कुछ उत्पादों पर प्रतिबंध लगने के बाद लोगों के लिए एक दरवाजा तो बंद हो गया, लेकिन कुछ ऐसे लोग भी हैं जिन्होंने अपने रोजगार को जारी रखने के लिए वैकल्पिक रास्ता निकाल लिया है। प्रतिबंध को गंभीरता से लेते हुए होटल सहित अन्य जगहों पर लोगों ने केले के पत्ते का उपयोग शुरू कर दिया है, वहीं दक्षिण तमिलनाडु के कुछ नारियल पानी विके्रताओं ने प्लास्टिक की स्ट्रा की जगह सरल तरीका अपनाया है।
मदुरै जिला निवासी तंगम पांडियन नामक व्यक्ति जो कि एक जैविक किसान भी है ने प्लास्टिक की पाइप के बजाय पपीते के पत्तों के डंठल का इस्तेमाल करना शुरू किया है। उन्होंने अपने खेत से डंठलों को इकठ्ठा किया है। बातचीत में पांडियन ने बताया कि धूप में सूखने की वजह से डंठल काफी मजबूत हो जाता है और स्ट्रा की तरह मुड़ता भी नहीं है। जैसे लोग पहले प्लास्टिक की स्ट्रा से नारियल पानी पीते थे वैसे ही इस डंठल की सहायता से पी सकते हैं।
पांडियन ने बताया कि कई प्रकार की घास भी ऐसी होती है जिसका इस कार्य के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। उन्होंने कहा स्ट्रा के रूप में मकई के डंठल का इस्तेमाल नहीं किया जा सकता, क्योंकि उसके अंदर का हिस्सा मुलायम होता है। इसी बीच तिरुनेलवेली जिले के तेनकाशी निवासी जे. षणमुगम नाथन ने बताया कि इलाके के कुछ पेट्रोल पंपों सहित अन्य इलाकों में बहुत सारे नारियल विक्रताओं द्वारा बांस के कच्चे तने का इस्तेमाल किया जा रहा है। नाथन ने कहा प्लास्टिक प्रतिबंध ऐसी पहल है जिसका स्वागत किया जाना चाहिए। इसकी सहायता से ही लोग प्लास्टिक के स्ट्रा के इस्तेमाल की जगह वैकल्पिक व्यवस्था कर रहे हैं, जो कि स्वास्थ्य के लिए भी फायदेमंद है।
Published on:
14 Jan 2019 05:41 pm
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