
डा. मधु धवन अभिनंदन ग्रन्थ का विमोचन
चेन्नई. शिक्षाविद, साहित्यकार व कवयित्री डा. मधु धवन न केवल हिंदी के लिए समर्पित थी बल्कि दक्षिण में तो वह हिंदी का पर्याय बन चुकी थी। उन्होंने हिंदी की अलख को दक्षिण में भी जगाए रखा और उंचाइयों तक ले गई। हिंदी उनके लिए प्यार एवं रिश्तों की भाषा बन चुकी थी।
डा. मधु धवन की मधुर स्मृति में लिखे गए अभिनंदन ग्रन्थ के विमोचन समारोह में वक्ताओं ने कुछ ऐसी ही राय रखी। सवेरा होटल में आयोजित समारोह में वक्ताओं ने धवन के योगदान को रेखांकित किया। समारोह के मुख्य अतिथि केन्द्रीय हिंदी निदेशालय नई दिल्ली के निदेशक तथा वैज्ञानिक एवं तकनीकी शब्दावली आयोग के अध्यक्ष प्रोफेसर अवनीश कुमार ने कहा कि डा. मधु धवन का हिंदी जगत के लिए दिया गया योगदान सराहनीय है। अभिनंदन ग्रन्थ सही मायने में उन्हें सच्ची श्रद्धाांजलि होगा। धवन ने न केवल निदेशालय की कई योजनाओं में अपना सहयोग किया बल्कि वे बहुत लम्बे समय तक हिंदी की सेवा के लिए जुटी रही। भाषाओं को जोडऩे में उनका किया सहयोग काबिलेतारीफ है। पत्रकारिता एवं तकनीकी के क्षेत्र में भी उनकी कलम चली।
दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के कुलसचिव डा. प्रदीप कुमार शर्मा ने कहा कि डा. मधु धवन के काम करने का अपना अंदाज था। हिंदी को लेकर उन्होंने कई राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठियां कीं। हिंदी के लिए समर्पित भाव से कार्य करते हुए उनके हर एक के बीच अपनी जगह बनाई। तमिलनाडु हिंदी अकादमी की अध्यक्ष एवं दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा की पूर्व कुलसचिव प्रोफेसर निर्मला एस. मौर्या ने कहा कि डा. मधु धवन के कार्य सराहनीय है। आगे भी इस तरह के कार्य जारी रखे जाएं। धवन के कार्यों का बखान करते हुए उन्होंने कहा कि हिंदी के प्रति समर्पित भाव से वे सदैव खड़ी रही। सबको साथ लेकर हिंदी के विकास में उनका योगदान उल्लेखनीय है। वाणी प्रकाशन के प्रबंध निदेशक अरुण माहेश्वरी ने कहा कि वे कला के लिए समर्पित थी। कला एक तरह का नशा है। दक्षिण भारत में हिंदी को बढ़ावा देने में उनका महत्ती योगदान रहा। गुरु नानक कालेज की हिंदी विभागाध्यक्ष डा. स्वाति पालीवाल ने कहा कि उनका विलक्षण व्यक्तित्व था। वह हर चीज सहजता से लेती थी। उन्होंने प्रतिभाओं को पहचाना। इतने जीवंत व्यक्तित्व कम देखने को मिलते हैं।
डा. मधु धवन के सुपुत्र विशाल धवन ने स्वागत भाषण दिया। धवन की सुपुत्री पूजा जैन ने अभिनंदन ग्रन्थ के चुने हुए अंशों का वाचन किया। रुशाली शिवप्रसाद, मधुमिता रघुराम, जे.के.जोइनर व एस. राखी मेहता ने काव्य पाठ किया। हिरण्यमयी ने प्रार्थना प्रस्तुत की। स्टैला मैरिस कालेज की सहायक प्रोफेसर डा. ए. फातिमा ने धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर तमिलनाडु हिंदी अकादमी की ओर से मधु धवन के सुपुत्र विशाल धवन व सुपुत्री पूजा जैन का भी शाल ओढ़ाकर सम्मान किया गया। पंजाब एसोसिएशन कल्याण कार्यक्रम की निदेशक डा. निर्मल भसीन, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के पीआरओ ईश्वर करुण, डा. ऋषभदेव शर्मा, डा. मंजू रूस्तगी एवं आर. पार्वती ने भी विचार रखे।
Published on:
30 Jul 2018 07:17 pm
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