सीईओ को परिपत्र
राज्य के सभी मुख्य शिक्षा अधिकारियों (सीईओ) को एक आधिकारिक परिपत्र में, मैट्रिक निदेशालय ने यह भी बताया कि कुछ स्कूलों ने छात्रों को फीस का भुगतान नहीं करने के लिए कक्षाओं के बाहर बैठने के लिए मजबूर किया है। इसी तरह कुछ स्कूलों ने भी छात्रों को फीस लाने के लिए मजबूर कर घर वापस भेज दिया है। सर्कुलर में यह भी उल्लेख किया गया है कि कुछ मामलों में स्कूलों का प्रबंधन भुगतान में देरी के लिए अभिभावकों के साथ ओछा व्यवहार करने में भी लिप्त रहा है।
शिक्षा का अधिकार
निदेशालय ने हालांकि स्पष्ट किया कि सिर्फ फीस का भुगतान न करने के कारण छात्रों को शिक्षा के अधिकार से किसी भी कीमत पर वंचित नहीं किया जाना चाहिए। इसलिए भविष्य में अपने-अपने जिले के सीईओ यह सुनिश्चित करें कि निजी स्कूल छात्रों से फीस वसूलने के नाम पर इस तरह की गतिविधियों में शामिल नहीं हो।
निजी प्रबंधन को दें परामर्श
सीईओ को यह भी निर्देश दिया गया था कि वे प्रबंधन को सलाह दें कि फीस का भुगतान न करने का हवाला देते हुए छात्रों को कक्षाओं से दूर न रखें। सभी स्व-वित्तपोषित संस्थानों पर भी अधिकारी लगातार निगरानी रखेंगे कि क्या वे परिपत्र में निदेशालय के निर्देशों को अपनाते हैं।
शिकायतों पर कार्रवाई
इसी तरह सीईओ को यह भी हिदायत दी गई है कि यदि माता-पिता की ओर से कोई शिकायत मिलती है तो तुरंत मुद्दों को हल करने के लिए प्राथमिकता दें और कार्रवाई की रिपोर्ट निदेशालय को प्रस्तुत करें।