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रिहा हुए कैदियों को भी समाज में शामिल करें : कलक्टर

कभी कभी व्यक्ति परेशानी में भी मजबूरन मुजरिम बन जाता है। ऐसे मुजरिम जब जेल से रिहा होकर आता है तो उसे समाज में शामिल कर उसकी मदद करें, जिससे वह भी आम लोगों के साथ मिलकर आगे बढ़े।

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रिहा हुए कैदियों को भी समाज में शामिल करें : कलक्टर

रिहा हुए कैदियों को भी समाज में शामिल करें : कलक्टर

वेलूर. यहां बाइपास के भारतीयार मार्ग स्थित तमिलनाडु रिहा कैदी कल्याण संगठन कार्यालय में सोमवार को रिहा हुए कैदियों को सहायता राशि व सामग्री वितरण कार्यक्रम आयोजित किया गया। कलक्टर षणमुगसुंदरम ने कायक्रम का उद्घाटन किया। इस मौके पर कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि कोई भी जन्म से मुजरिम नहीं बनता, परस्थितियां व समय व्यक्ति को मुजरिम बनने पर मजबूर कर देती है। कभी कभी व्यक्ति परेशानी में भी मजबूरन मुजरिम बन जाता है। ऐसे मुजरिम जब जेल से रिहा होकर आता है तो उसे समाज में शामिल कर उसकी मदद करें, जिससे वह भी आम लोगों के साथ मिलकर आगे बढ़े।

वर्ष 2011 से 2020 तक जैन से रिहा हुए 149 कैदियों को जीवन यापन के लिए 29.85 लाख रुपये की सहायता राशि प्रदान की गई
उन्होंने कहा तमिलनाडु रिहा कैदी कल्याण संगठन का इस क्षेत्र में सामाजिक कार्य व सेवा भाव काफी सराहनीय है। संगठन की ओर से वर्ष 2011 से 2020 तक जैन से रिहा हुए 149 कैदियों को जीवन यापन के लिए 29.85 लाख रुपये की सहायता राशि प्रदान की गई है। कार्यक्रम में कलक्टर ने जेल से रिहा हुए 11 कैदियों को जीवन यापन के लिए प्रत्येक को 25 हजार रुपये की सहायता राशि प्रदान की। इसके अलावा तिरुवण्णामलै व वेलूर जिले के जेलकर्मियों के लिए 10 हजार मास्क, सेनिटाइजर की बोतलें, ग्लव्ज आदि दिए हैं। इस मौके पर केन्द्रीय कारागार अधीक्षक आंडाल, संगठन सचिव जनार्दनन, अध्यक्ष श्रीनिवासन, पर्यवेक्षक विजयराघवेलू भी उपस्थित थे।