
लॉक डाउन में शराब के ठेके खोले जाने पर हाईकोर्ट चिंतित
चेन्नई. मद्रास हाईकोर्ट की पूर्ण पीठ ने गुरुवार को मौखिक रूप से लॉक डाउन के वक्त शराब के ठेके खोले जाने के निर्णय पर चिंता जताई कि क्या आय सृजन के खातिर लोक स्वास्थ्य से समझौता किया जा सकता है? न्यायालय का यह विचार तस्माक दुकानों के खोले जाने के निर्णय के खिलाफ दायर याचिकाओं पर था।
मद्रास हाईकोर्ट ने पहले ही शराब के ठेके खोलने पर रोक लगाते हुए केवल ऑनलाइन बिक्री की अनुमति दी है। इस निर्णय पर तमिलनाड सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में अपील कर रखी है। उच्चतम न्यायालय में यह याचिका शुक्रवार के लिए सूचीबद्ध है।
बहरहाल, मूल याचिकाओं पर मुख्य न्यायाधीश एपी शाही की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यों की पूर्ण कोर्ट ने वीडियो कांफेंरसिंग के जरिए सुनवाई की। इस पीठ में वरिष्ठ जज विनीत कोठारी और जस्टिस पी. एन. प्रकाश भी शामिल हैं।
पूर्ण पीठ ने एडवोकेट जनरल विजय नारायण को जवाबी नोटिस जारी करते हुए याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित कर दी। मूल मामला हाईकोर्ट की न्यायिक पीठ का १४ मई को जारी अंतरिम आदेश से जुड़ा है। हाईकोर्ट ने लॉक डाउन में शराब के ठेके बंद करने के उस वक्त आदेश जारी किए थे।
तस्माक की ओर से हाईकोर्ट में पेश जवाब में कहा गया था कि वह प्रतिदिन प्रति दुकान ५०० ग्राहकों को ही शराब बेचेगा। प्रति घंटा ७० से अधिक लोगों को शराब नहीं बेची जाएगी। भीड़ से बचाव के लिए ग्राहकों को टोकन दिए जाएंगे।
पूर्ण पीठ के समक्ष तस्माक की ओर से कहा गया कि डिविजन बेंच का निर्णय गलत था चूंकि सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही लॉक डाउन अवधि में ठेकों को बंद रखने के निर्देश जारी करने से इनकार कर दिया था।
विभिन्न याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ताओं ने तर्क दिया कि सरकार को लॉक डाउन में शराब के ठेके खोलने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। हाईकोर्ट पूर्ण शराबबंदी के आदेश भले नहीं दे सकती लेकिन जब लोक स्वास्थ्य की बात आए तो नीतिगत निर्णय में दखल देने का अधिकार रखती है। इस दलील को दर्ज करने के बाद पूर्ण पीठ ने एडवोकेट जनरल से कहा कि वह राज्य सरकार से जवाब प्राप्त कर शपथपत्र दायर करे।
Published on:
15 May 2020 12:15 am
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