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‘आर्म रिहैबिलिटेशन रोबोट’ जैसे साधनों का होगा विकास

आईआईटी मद्रास का पोर्टस्केप से करार, रोबोटिक्स के माध्यम से मेडिकल इनोवेशन

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‘आर्म रिहैबिलिटेशन रोबोट’ जैसे साधनों का होगा विकास

‘आर्म रिहैबिलिटेशन रोबोट’ जैसे साधनों का होगा विकास

चेन्नई.

भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास ने मोशन टेक्नोलॉजी फर्म पोर्ट्सकैप के साथ सहयोग करार किया है। इसके तहत रोबोटिक्स के उपयोग से चिकित्सा के क्षेत्र में नवाचार किए जाएंगे। इस सीएसआर परियोजना में क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज वेलूर भी शामिल है।

प्रोजेक्ट के लिए ऑफिस ऑफ इंस्टीट्यूशनल एडवांसमेंट, आईआईटी मद्रास ने आवश्यक सुविधाएं दी है। इसमें अभिनव पुनर्वास रोबोट - अरेबो (आर्म रिहैबिलिटेशन रोबोट) विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा जो बांह की गंभीर समस्या वाले लोगों के लिए सहायक होगा।

अरेबो सिक्स-डिग्री-ऑफ-फ्रीडम रोबोट है, जो न्यूरो और मांसपेशी की गंभीर समस्याओं जैसे कि स्ट्रोक, गठिया, सेरेब्रल पाल्सी और पार्किंसंस के मरीजों के कंधे और कोहनी के जोड़ों के मूवमेंट का ट्रेनिंग देगा। रोबोट इस तरह डिजाइन किया गया है कि मरीज के बाएं या दाएं हाथ से आसानी से जुड़े और बांह का सुरक्षित ट्रेनिंग दे।

प्रोजेक्ट की प्रमुख प्रो. सुजाता श्रीनिवासन और प्रो. शिवकुमार बालासुब्रमण्यम हैं। इस तरह के इनोवेशन से अपंग लोगों का जीवन काफी बेहतर हो जाता है। इनकी मदद से चिकित्सक दूर किसी स्थान से भी थिरैपी पर नजर रखते और उसके अनुसार चिकित्सा की योजना बनाते हैं।

सस्ते डिवाइस होंगे विकसित

सहयोग करार के विशिष्ट पहलुओं के बारे में प्रोफेसर सुजाता श्रीनिवासन इस प्रोजेक्ट में आर2डी2 की क्षमता का उपयोग कार्य सक्षम और सस्ते डिवाइस विकसित और बाजार में पेश करने में किया जाएगा। इससे अपंग लोगों को शारीरिक गतिविधि करने में मदद मिलेगी। इसमें सीएमसी की बायोइंजीनियरिंग और क्लिनिकल विशेषज्ञता का भी लाभ लिया जाएगा। सीएसआर के सहयोग से अनुसंधान और विकास के खर्चे पूरे करने का विशेष महत्व है क्योंकि इससे उच्च गुणवत्ता के उपकरण कम कीमत पर बाजार में पहुंचाने का अंतिम लक्ष्य पूरा करना आसान होगा।