
बोलने में असमर्थ लोगों की मदद करेगी नई तकनीक
चेन्नई. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी मद्रास (आइआइटी-एम) के शोधकर्ताओं ने बोलने में असमर्थ लोगों की मदद के लिए मस्तिष्क के संकेतों को भाषा में परिवर्तित करने की एआई तकनीक तैयार की है। इस तकनीक से पौधों में फोटो सिंथेसिस की प्रक्रिया और बाह्य कारकों पर उसकी प्रतिक्रिया के प्राकृतिक संकतों को भी समझने में सहायता मिले सकेगी। आइआइटी मद्रास के मैकेनिकल विभाग की टीम फ्ल्यूड सिस्टम लेबोरेटरी के विशाल नंदीगना के नेतृत्व में इस विषय पर शोध कर रही है।
मस्तिष्क के सिग्नल सामान्य इलेक्ट्रिकल सिग्नल की तरह ही होते । इन्हें गहन अलगोरिद्म और एआई की मदद से सरल मानव भाषा में परिवर्तित किया जा सकता है। नैनोपोर के भीतर नॉन फ्ल्यूडिक ट्रांसपोर्ट से संकेत प्राप्त कर उसे एक्सपेरीमेंटल इलेक्ट्रिकल सिग्नल में बदल कर इस टीम ने इस अवधारणा का परीक्षण किया। प्रयोग में नैनोपोर में स्लाइन सॉल्यूशन भरा गया था। विशाल ने बताया कि प्रयोग के परिणाम में हमें चार्ज कणों के प्रवाह को दिखाने वाला आयनिक करंट (प्रवाह) मिला।
इन विद्युत चलित आयनों के संकेतों को मानव की भाषा में परिवर्तित किया जा सकता है। ये हमें बता सकते है कि आयन हमसे क्या संवाद करना चाहते हैं। इस प्रयास में सफल होने के बाद हम न्यूरोलॉजिस्ट से इलेक्ट्रोफिजिकल डेटा प्राप्त करेंगे जिससे हमें बोलने में असमर्थ लोगों के मस्तिष्क के संकेतों से जानकारी मिल सकेगी कि वे क्या बोलना चाहते हैं।
आइआइटी मद्रास के शोधकर्ता इस बात पर काम कर रहे हैं कि कैसे इन वास्तविक डेटा सिग्नल को मानव भाषा जैसे अंग्रेजी भाषा में डिकोड किया जा सकता है और वास्तविक डेटा सिग्नल की व्याख्या एक साधारण मानव भाषा के रूप में की जा सकती है जिसे सभी मानव समझ सकें।
Published on:
04 Feb 2020 06:56 pm
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