
चेन्नई. केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्रालय के भारतीय शैक्षणिक संस्थानों की एनआईआरएफ रैंकिग में ओवरआल कैटेगरी में देशभर में पहले स्थान पर रहे आईआईटी मद्रास अब एक बार फिर श्रेष्ठता की तरफ कदम बढ़ाने को आतुर दिख रही है। करियर को और आगे बढ़ाने एवं सीखने की प्रवृत्ति बनाए रखने को लेकर आईआईटी मद्रास ने यंग रिसर्च फैलो कार्यक्रम शुरू किया है। मैसाच्युसेट इन्स्टीट्यूट आफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) से प्रेरित होकर तैयार किया गया यह पाठ्यक्रम आईआईटी मद्रास के डोल डिग्री छात्रों एवं यूजी के तीसरे वर्ष के छात्रों के लिए होगा। छात्रों के लिए यह रिसर्च का शानदार मौका देगा। छात्र करियर एवं लाइफ कोचिंग (सीएलआईसी) प्रोग्राम का भी लाभ उठा सकेंगे। यह प्रोजेक्ट 1979 बैच के पूर्व छात्रों की वित्तीय मदद से शुरू किया गया है। 1979 बैच के 24 छात्रों व आईआईटी मद्रास के डीन (एलुमिनी व कार्पोरेट रिलेशन) प्रोफेसर महेश पंचाननुला के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए।
विश्वस्तरीय स्नातक छात्रों के लिए जाना जाता आईआईटी मद्रास
आईआईटी मद्रास के निदेेशक प्रोफेसर भास्कर राममूर्ति ने कहा आईआईटी मद्रास अपने विश्वस्तरीय स्नातक छात्रों के लिए जाना जाता है। आईआईटी मद्रास में विश्व स्तरीय शोध हो रहा है। यह प्रोग्राम यूजी छात्रों को रिसर्च के क्षेत्र में जल्दी मौका देगा। सालभर यह प्रोग्राम चलेगा। पहले साल 20 फैलोशिप दी जाएगी। यह एक सलेक्टिव प्रोग्राम है जिसके आवेदकों का चयन उच्चस्तरीय समिति करेगी।
छात्रों की सफलता में एक और आयाम जुड़ेगा
एमआईटी के डीन (इंजीनियरिंग) प्रोफेसर अनंत चन्द्रकासन ने कहा कि स्नातक कर रहे छात्रों की सफलता में एक और आयाम स्थापित हो सकेगा। इससे अकादमी एवं उद्योग में भी बहुत सहारा मिल सकेगा। शोध को बढ़ावा देने की दिशा में छात्रों के लिए यह बहुत उपयोगी साबित होगा।
समय की मांग के अनुरूप पाठयक्रम
आईआईटी मद्रास के डीन (एलुमनी व कार्पोरेट रिलेशन) प्रोफेसर महेश पंचानुल्ला ने कहा कि 1979 बैच के छात्रों ने सही समय पर और समय की मांग के अनुरूप पाठयक्रम को पेश किया है। इसका फायदा छात्रों को निसंदेह मिलेगा। ऐसे समय जबकि भारत आत्मनिर्भरता की तरफ कदम बढ़ाने की दिशा में है ऐसे में उन छात्रों को निखारने में मदद मिल सकेगी जो वाकई बहुत प्रतिभाशाली हैं।
आईआईटी शोध को बढ़ावा देने में मददगार
1979 बैच के करीब 30 पूर्व छात्रों ने इसके लिए फंड, ढांचागत सुविधाएं, प्रोग्राम निर्माण समेत अन्य काम में सहयोग किया है। 1979 बैच के छात्र सुब्रमण्यन द्रविड़ ने कहा कि हमारा उद्देश्य यही है कि सर्वश्रेष्ठ प्रतिभा निखर कर बाहर आ सकें। उन्होंने आशा जताई कि यह कार्यक्रम निश्चित रूप से आईआईटी शोध को बढ़ावा देने में मददगार साबित हो सकेगा। 1979 बैच के ही नारू शरत ने कहा कि इस कार्यक्रम के जरिए विद्यार्थी को पता चल सकेगा कि मौजूदा प्रतिस्पर्धा में हम किस तरह बने रह सकते हैं।
Published on:
11 Jul 2020 08:50 pm
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