14 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

चेन्नई फर्म के साथ मिलकर आइआइटी मद्रास टचलेस सैनिटाइजर डिस्पेंसर करेगा विकसित

IIT-Madras आइआइटी मद्रास ने कार, वैन, बस और ऑटो रिक्सा में आसानी से लग जाने वाले टचलेस सैनिटाइजर डिस्पेंसर विकसित करने के लिए चेन्नई आधारित एक उद्योग के साथ साझेदारी की है

less than 1 minute read
Google source verification
चेन्नई फर्म के साथ मिलकर  आइआइटी मद्रास टचलेस सैनिटाइजर डिस्पेंसर करेगा विकसित

चेन्नई फर्म के साथ मिलकर आइआइटी मद्रास टचलेस सैनिटाइजर डिस्पेंसर करेगा विकसित


चेन्नई. इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आइआइटी) मद्रास ने कार, वैन, बस और ऑटो रिक्सा में आसानी से लग जाने वाले टचलेस सैनिटाइजर डिस्पेंसर विकसित करने के लिए चेन्नई आधारित एक उद्योग के साथ साझेदारी की है। यह डिजाइन एसी और डीसी बिजली आपूर्ति में उपयोग के लिए स्केलेबल होगा। सामग्री में विशेष ध्यान रखा गया है ताकि लिक्विट और जेल टाइप की सैनिटाइजर का उपयोग किया जा सके। आइआइटी मद्रास के इंजीनियरिंग डिजाइन विभाग की एसोसिएट प्रोफेसर कविता अरुणाचलम इस परियोजना का नेतृत्व करेंगी और शिमा इंजीनियरिंग, जो कि चेन्नई आधारित फर्म है, के आनंदराज जी और राजेश डी के साथ मिलकर टचलेस सैनिटाइजर डिस्पेंसर विकसित करने को लेकर कार्य करेंगी। बातचीत के दौरान कविता ने बताया कि शिमा इंजीनियरिंग ने मार्च 2020 में टचलेस सैनिटाइजर डिस्पेंसर विकसित करने का विचार पेश किया था।

-स्वच्छता उत्पादों की आवश्यक्ताओं को ध्यान में रखते हुए

कोविड 19 की महामारी के बीच टचलेस स्वच्छता उत्पादों की आवश्यक्ताओं को ध्यान में रखते हुए मैने शिमा इंजीनियरिंग को उपयोगकर्ताओं के अनुरूप प्रोटोटाइप सैनिटाइजर बनाने का सुझाव दिया। उन्होंने कहा प्रस्तावित परियोजना को आइआइटी मद्रास के कोविड 19 प्रोजेक्ट के संकाय प्रभारी शेषाद्री शेखर से मंजूरी और सेंट्रल वर्कशॉप का सहयोग मिला है। इसके तहत हमने आइआइटी मद्रास के छात्र डाइनिंग हॉल, संस्थान अस्पताल और रिसर्च पार्क के अलावा परिसर के अन्य क्षेत्रों में भी कुछ इकाइयां स्थापित की है। उन्होंने कहा कि सैनिटाइजर के संपर्क में आने वाले सामग्री व अन्य वस्तु रासायनिक रूप से स्थिर हैं और यूनिट को तीन सेकेंड में तीन मिलीलीटर डिस्चार्ज करने के लिए डिजाइन किया गया है जो कि उद्योगों, शिक्षण संस्थान और कार्पोरेट कार्यालयों के लिए उपयोगी होगा। अप्रेल के मध्य से कैंपस में उपयोग किए जाने वाले प्रोटोटाइप इकाईयों के कामकाज पर प्राप्त प्रतिक्रिया के आधार पर एक रुगड़ विकसित किया गया है।