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तमिलनाडु में सूक्ष्म,छोटे और मंझोले उद्योंगो पर कोविड -19 प्रभाव का अध्ययन करेगा आइआइटी मद्रास

तमिलनाडु में 6.89 लाख से अधिक पंजीकृत उद्यमों के साथ सबसे ज्यादा संख्या में एमएसएमई हैं। जो कि देश में कुल एमएसएमई के 15 प्रतिशत से अधिक है।

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iit madras

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चेन्नई.आईआईटी-मद्रास तमिलनाडु में सूक्ष्म, लघु और मझोले उद्योगों (एमएसएमई) पर कोविड-9 संकट के प्रभाव का अध्ययन करेगा। अध्ययन तीन या चार सप्ताह के भीतर पूरा होने की उम्मीद है। इस अध्ययन के परिणामों के आधार पर शोधकर्ता एमएसएमई को महामारी से लगे झटके से उबरने में और जल्द से जल्द इससे बाहर निकलने में मददगार रणनीति बना सकेंगे।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन की एमएसएमई को प्रोत्साहन देने वाली घोषणा के संदर्भ में एमएसएमई में आए बदलावों पर ये समयबद्ध अध्ययन होगा। तमिलनाडु में 6.89 लाख से अधिक पंजीकृत उद्यमों के साथ सबसे ज्यादा संख्या में एमएसएमई हैं। जो कि देश में कुल एमएसएमई के 15 प्रतिशत से अधिक है। राज्य में एमएसएमई के महत्व को देखते हुए कोरोना महामारी के कारण हुआ नुकसान प्रमुख चिंता का विषय है।

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चुनौतियों के विश्लेषण से मिलेगी आगे की राह
आईआईटीएम के डॉ. सुभाष शशिधरन व संतोष कुमार साहू (मानविकी और सामाजिक विज्ञान विभाग) शोध का नेतृत्व कर रहे हैं। डॉ. सुभाष शशिधरन का कहना था कि एमएसएमई देश में सबसे बड़ा रोजगार प्रदाता क्षेत्र है। इस महामारी के कारण आज इन उद्योगो का अस्तित्व दांव पर है। इन उद्योगों की चुनौतियों के विस्तृत विश्लेषण की तत्काल आवश्यकता है। डॉ. संतोष साहू ने कहा कि रोजगार, उत्पादन और निर्यात के क्षेत्र में एमएसएमई के योगदान को देखते हुए इसे महामारी के कारण पैदा हुए संकट से जल्द से जल्द उबारने से ही हम संभल पाएंगे। आइआइटी एम ने इसके लिए कान्सो ट्री, तमिलनाडु लघु व सूक्ष्म उद्योग एसोसिएशन (टीएएनएसटीआइए),कोयम्बतूर जिला लघु व सूक्ष्म उद्योग एसोसिएशन (सीओडीआइएसएसआइए), मदुरई जिला लघु व सूक्ष्म उद्योग एसोसिएशन (एमएडीआइटीएसएसआइए) के साथ साझेदारी की है।