
चेन्नई. मद्रास उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को एयरसेल-मैक्सिस सौदा मामले में सीबीआई के आरोप पत्र के आधार पर पूर्व केंद्रीय मंत्री दयानिधि मारन के 2008-09 और 2009-10 की आय के फिर से आकलन के लिए आयकर विभाग की कार्रवाई पर 22 अक्टूबर तक रोक लगा दी। मारन की अर्जी पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति जी हुलुवाडी रमेश और न्यायमूर्ति के कल्याण सुंदरम की पीठ ने मौखिक आदेश दिया। मारन ने आयकर विभाग की कार्रवाई के खिलाफ अपनी याचिका खारिज किए जाने के एकल न्यायाधीश के 10 अक्टूबर के फैसले को चुनौती दी है। मारन के अलावा उनके भाई और मीडिया कारोबारी कलानिधि मारन से जुड़ी कंपनी सन डायरेक्ट टीवी प्राइवेट लिमिटेड और साउथ एशिया एफएम लिमिटेड की ओर से अपील दायर की गई। आयकर नोटिस के खिलाफ कलानिधि मारन की याचिका भी खारिज कर दी गई। सुनवाई के लिए अर्जी के आने पर पूर्व मंत्री के वकीलों ने आशंका जताई कि आयकर विभाग दशहरा के दौरान शनिवार से अदालत की छुट्टियों का फायदा उठाकर आकलन आदेश जारी कर सकता है, इससे अपील का फायदा नहीं होगा और अपील करने वालों के हितों की रक्षा होनी चाहिए। पीठ ने अपील पर अगली सुनवाई के लिए 22 अक्टूबर की तारीख निर्धारित की है।
मूर्ति चोरी मामले में मद्रास उच्च न्यायालय ने जताई नाराजगी
चेन्नई. मद्रास उच्च न्यायालय ने आवश्यक कागजी कार्यवाही किए बिना मूर्ति चोरी मामलों की जांच सीबीआइ को स्थानांतरित करने के शासकीय आदेश की निंदा की है।
न्यायाधीश आर. महादेवन और न्यायाधीश आदिकेशवलू की खंडपीठ ने केंद्र सरकार को मूर्ति चोरी से संबंधित मामलों में संपूर्ण दस्तावेज नहीं उपलब्ध कराए जाने के राज्य सरकार के रवैये पर अप्रसन्नता जाहिर की है।
खंडपीठ ने अतिरिक्त महाधिवक्ता जी. राजगोपाल के हलफनामे का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने दस्तावेजों की कमी के कारण राज्य सरकार के सीबीआइ जांच के प्रस्ताव को स्वीकार करने में असमर्थता जताई थी।
इस मामले में राज्य सरकार की लेटलतीफी पर आश्चर्य व्यक्त करते हुए पीठ ने कहा कि जिस सरकार को सरकारी आदेश (जी. ओ.) जारी करने में 24 घंटे का वक्त लगता है उसे हिंदू धर्म और देवस्थान विभाग की संयुक्त आयुक्त कविता के निलंबन के आदेश जारी करने में तीन महीने का समय लगा। हाईकोर्ट ने जब सीबीआई से इन प्रकरणों की जांच के बारे में पूछा तो जांच एजेंसी ने भी कर्मचारियों की कमी का हवाला देते हुए केस को हाथ में लेने से मना कर दिया।
न्यायालय के इस रुख पर राज्य का पक्ष रखते हुए अतिरिक्त एडवोकेट जनरल ने कहा कि राज्य सरकार की मूर्ति चोरी मामले में कई याचिकाएं अदालत में लंबित थी और संबंधित दस्तावेज भी वहीं जमा थे। इसलिए हमने इस विषय में भी याचिका दी है। इस वजह से विलम्ब हुआ।
उल्लेखनीय है कि अगस्त में राज्य सरकार ने मूर्ति चोरी से संबंधित सभी लंबित और आगामी प्रकरणों को सीआईडी की आइडल विंग से सीबीआइ के हवाले करने का आदेश जारी किया था। सरकार के इस निर्णय के विरोध में एलिफेंट जी. राजेन्द्रन ने मद्रास उच्च न्यायालय में याचिका दायर कर अगले आदेश तक स्टे ऑर्डर हासिल कर लिया था।
Published on:
13 Oct 2018 12:47 pm
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