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हृदय के बाएं निलय से दुर्लभ ट्यूमर की की-होल सर्जरी

चेन्नई. भारत में पहली बार हृदय के मुख्य पम्पिंग कक्ष, अर्थात बाएं निलय (लेफ्ट वेंट्रिकल) से अत्यन्त दुर्लभ प्रकार का ट्यूमर की-होल सर्जरी द्वारा सफलतापूर्वक निकाला गया। यह रोग अत्यन्त दुर्लभ है जो लगभग 2 से 3 करोड़ व्यक्तियों में से केवल एक में पाया जाता है। सामान्यत: ऐसी स्थिति में स्टर्नोटॉमी अर्थात छाती की […]

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चेन्नई. भारत में पहली बार हृदय के मुख्य पम्पिंग कक्ष, अर्थात बाएं निलय (लेफ्ट वेंट्रिकल) से अत्यन्त दुर्लभ प्रकार का ट्यूमर की-होल सर्जरी द्वारा सफलतापूर्वक निकाला गया। यह रोग अत्यन्त दुर्लभ है जो लगभग 2 से 3 करोड़ व्यक्तियों में से केवल एक में पाया जाता है। सामान्यत: ऐसी स्थिति में स्टर्नोटॉमी अर्थात छाती की हड्डी को काटकर खुली हृदय शल्यक्रिया की जाती है। लेकिन सिम्स अस्पताल के चिकित्सकों ने आधुनिक एंडोस्कोपिक तकनीक का प्रयोग कर मात्र तीन सेंटीमीटर की चीरा लगाकर यह कठिन कार्य सम्पन्न किया। 45 वर्षीय कार्यरत महिला मरीज के हृदय में आकस्मिक जांच के दौरान 1.6 गुणा 1.5 सेंटीमीटर की गांठ मिली। एमआरआइ द्वारा पुष्टि होने पर शल्यक्रिया का निर्णय लिया गया। शल्यक्रिया का संचालन डॉ. ए. मोहम्मद इब्राहिम व डॉ. वी. वी. बाशी की टीम ने किया। पेशेंट को एनेस्थी​शिया देकर दाहिने जांघ की रक्तवाहिनी से हार्ट-लंग मशीन पर रखा गया। इसके बाद हृदय को रोककर उसके कक्ष खोले गए। एंडोस्कोप से ट्यूमर को पूर्णत: निकालकर हृदय को पुनः चालू किया गया। मरीज शीघ्र ही स्वस्थ होकर दो सप्ताह में अपने कार्य पर लौट आई। डॉ. रवि पचमुथु ने इस सफलता को अस्पताल की उन्नत तकनीकी क्षमता और चिकित्सकों की निष्ठा का परिणाम बताया। डॉ. बाशी ने कहा कि यह भारत में प्रथम अवसर है जब बाएं निलय का ट्यूमर मिनिमली इनवेसिव पद्धति से निकाला गया।