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महिलाओं के लिए नजीर हैं सहारनपुर की आतिया साबरी

महिला दिवस पर कुछ अलग करने वाली महिलाओं का जिक्र हो और सहारनपुर की आतिया साबरी का नाम न आए तो ऐसा भला कैसे हो सकता है। इस महिला

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Nazira is the women of Saharanpur's Athaiya Sabari

Nazira is the women of Saharanpur's Athaiya Sabari

सहारनपुर।महिला दिवस पर कुछ अलग करने वाली महिलाओं का जिक्र हो और सहारनपुर की आतिया साबरी का नाम न आए तो ऐसा भला कैसे हो सकता है। इस महिला दिवस हम आपको सहारनपुर के आतिया साबरी से मिलवाते हैं। आतिया पूरे देश की मुस्लिम महिलाओं के लिए नजीर बन गई हैं। उन्होंने न केवल तीन तलाक के विरोध में लड़ाई लड़ी, बल्कि मुश्किल समय में जब पति ने उन्हें छोड़ दिया तो अपनी दोनों बेटियों को पढ़ाया-लिखाया और उनकी शिक्षा के लिए भी काम किया। आतिया की तरह उनकी बेटियां भी बेहद साहसी हैं। वे चाहती हैं कि दोनों बेटियों बड़ी होकर बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के अभियान के लिए काम करंे।

दो बेटियों को जन्म दिया इसलिए पति ने दिया तलाक

आतिया साबरी की कहानी भी बेहद हैरान कर देने वाली और दुखभरी है। आतिया को उनके पति ने इसलिए तलाक दे दिया था। क्योंकि उन्होंने एक नहीं बल्कि दो बेटियों को जन्म दिया था। पति पुरानी सोच वाले थे इसलिए वह बेटा चाहते थे। इसलिए बेटियों के जन्म के बाद उसने बेटियों को स्वीकार करने से साफ तौर से इनकार कर दिया था। फिर उसने आतिया के पास एक सादे कागज पर तीन बार तलाक लिखकर भिजवा दिया। तलाक की इस घटना ने आतिया के जीवन को बदल कर रख दिया और उसने यह ठान लिया कि अब वह तीन तलाक के खिलाफ लड़ाई लड़ेंगी, ताकि न केवल उसकी बेटियों का भविष्य अच्छा हो, बल्कि समाज की अन्य महिलाओं को भी अधिकार मिले। इस लड़ाई में आतिया साबरी को बहुत सी परेशानियां उठानी पड़ी और मौलवियों के अलावा मुस्लिम समाज का काफी विरोध झेलना पड़ा। यहां तक कि रिश्तेदारों ने भी आतिया साबरी और उनके परिवार से नाता तक तोडऩे की बात कही, लेकिन उन्होंने अपनी लड़ाई को वापस नहीं लिया।

आज भी हालात बदलने की जरुरत है

&महिलाओं को अपने अधिकार इस समाज में आज भी छीनने पड़़ते हैं। अपने अधिकारों के लिए उन्हें लडऩा पड़ता है। जब तक यह हालात नहीं बदल जाते तब तक वास्तव में महिला दिवस साकार नहीं हो सकता।

आतिया साबरी कुरीतियों के खिलाफ लड़ी लड़ाई