21 दिसंबर 2025,

रविवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

NHRC : पुलिस हिरासत में मौतों का पूर्ण विवरण नहीं है एनएचआरसी के पास!

पी. एस. विजयराघवन   - केंद्र सरकार ने हवाले से दिया जवाब - दलित और अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों की हिरासत में हुई मौतों के आंकड़े अनुपलब्ध

2 min read
Google source verification
NHRC : पुलिस हिरासत में मौतों का पूर्ण विवरण नहीं है एनएचआरसी के पास!

NHRC : पुलिस हिरासत में मौतों का पूर्ण विवरण नहीं है एनएचआरसी के पास!

देश के चंद राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों को छोड़ दिया जाए तो शेष सभी प्रदेशों पर पुलिस हिरासत में मौत की कालिख लगी है। तमिलनाडु में २०२० में तुत्तुकुड़ी जिले के सातांकुलम थाने में पिता-पुत्र व्यापारी पी. जयराज और जे. बेनिक्स पर जिस तरह कस्टडी में अत्याचार हुआ उसकी पुष्टि तो सीबीआइ ने भी करते हुए चार्जशीट दायर की थी। ऐसे में एक चौंकाने वाला यह तथ्य सामने आया है कि कस्टडी मौत संबंधी पूर्ण आंकड़े सरकार के पास नहीं है। यानी कि कस्टडी में हुई मौतों में अल्पसंख्यक, दलित तथा कौनसे जेंडर के लोग हैं?


राजनीतिक दलों व अधिकार संगठनों की मांग है कि सरकार को इनका लेखा-जोखा पेश करना चाहिए ताकि असली स्थिति सामने आ सके। आज भी अल्पसंख्यक और दलित उत्पीडऩ और अराजकता के शिकार हो रहे हैं। जब तक आंकड़े सामने और स्पष्ट नहीं होंगे तो सुधार के उपाय लागू करना कठिन होगा।


वीसीके ने किया सवाल
दलितों का प्रतिनिधित्व करने वाली पार्टी विडुदलै चीरतै कच्ची (वीसीके) सांसद तोल तिरुमावलवन ने लोकसभा में हिरासत में मौतों को लेकर सवाल किया था। गृह राज्य मंंत्री नित्यानंद राय ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) से प्राप्त विवरण साझा करते हुए कहा कि वह अलग से अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और अल्पसंख्यक समुदाय के व्यक्तियों की पुलिस हिरासत में हुई मृत्यु संबंधित आंकड़े नहीं रखता है।


हर थाने के पास होती है जानकारी
जानकारों का मानना है कि यहां शायद आंकड़े छिपाने के जतन हो रहे हैं। वरिष्ठ क्रिमिनल एडवोकेट ने नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर बताया कि कस्टडी डेथ में कौन मरा, किस वर्ग का था और कौनसे ***** का था सहित सभी अन्य सूचनाएं स्थानीय पुलिस थाने के पास होती है। पुलिस थाने राज्य और केंद्रीय इंटेलिजेंस ब्यूरो के साथ मिलकर कार्य करती हैं। ऐसे में यह बात हजम नहीं होती कि मानवाधिकार आयोग के पास इतने महत्वपूर्ण आंकड़े नहीं है।

पिछले ३ सालों में कस्टडी मौत के मामले
राज्य २०२१ २०२२ २०२३
महाराष्ट्र १३ ३० २३
गुजरात १७ २४ १५
बिहार ०३ १८ १६
कर्नाटक ०५ ०५ ०५
मध्यप्रदेश ०८ ०८ ०८
राजस्थान ०३ १३ ०४
तमिलनाडु ०२ ०४ ०७
प. बंगाल ०८ ०५ १५