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जिपमेर में असुविधाओं से परेशान मरीज

देश के चुनिंदा अस्पतालों में शुमार जिपमेर का अपना अलग स्थान है। १९५ एकड़ में पसरा जवाहरलाल पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च (जिपमेर) केन्द्र प्रशासित प्रदेश पुदूचेरी के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इसमें हर रोज बड़ी संख्या में लोगों को जीवनदान मिलता है। यहां ऐसे रोगियों का इलाज होता है,जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और जिनकी जेब खाली होती है। इसलिए यहां प्रतिदिन सैकड़ों लोग इलाज वास्ते आते हैं।

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Patients troubled by inconvenience in jippers

Patients troubled by inconvenience in jippers

पुदूचेरी।देश के चुनिंदा अस्पतालों में शुमार जिपमेर का अपना अलग स्थान है। १९५ एकड़ में पसरा जवाहरलाल पोस्ट ग्रेजुएट मेडिकल इंस्टीट्यूट ऑफ रिसर्च (जिपमेर) केन्द्र प्रशासित प्रदेश पुदूचेरी के लिए किसी वरदान से कम नहीं है। इसमें हर रोज बड़ी संख्या में लोगों को जीवनदान मिलता है। यहां ऐसे रोगियों का इलाज होता है,जो आर्थिक रूप से कमजोर हैं और जिनकी जेब खाली होती है। इसलिए यहां प्रतिदिन सैकड़ों लोग इलाज वास्ते आते हैं।

सूत्रों की मानें तो इस अस्पताल में हर दिन लगभग ८ हजार नए रोगी इलाज के लिए आते हैं जिनमेें पुदूचेरी के केवल १५ प्रतिशत लोग ही होते हैं बाकी तमिलनाडु के सेलम, नामक्कल, तिरुचि, चिदम्बरम, कडलूर, राजपालयम समेत अनेक जिलों के अलावा पूर्वोत्तर राज्यों पश्चिम बंगाल, असम, हिमाचलप्रदेश, बिहार, यूपी, एमपी और पड़ोसी देश नेपाल से भी रोगी इलाज के लिए यहां पहुंचते हैं। इसकी मुख्य वजह यहां नि:शुल्क इलाज और स्वास्थ्यकर्मियों द्वारा उचित देखभाल है। इस अस्पताल की विशेषता यह है कि यहां कोई वीआईपी नहीं होता। अस्पताल प्रशासन उन रोगियों के इलाज को प्राथमिकता देते हैं जिनको पहले इलाज की जरूरत है। यहां क्षेत्रीयता और भाषा के आधार पर किसी प्रकार का भेदभाव नजर नहीं आता।

अस्पताल में भीड़ होने कारण चिकित्सकों पर कार्यभार अधिक होने के कारण स्वास्थ्यकर्मियों और मरीजों के अभिभावकों के बीच संवादहीनता बनी रहती है। खासकर अगर रोगी महिला है और उसका इलाज महिला और बाल कल्याण विभाग द्वारा चल रही है तो पुरुष अटेंडरों को प्रवेश मिलना भी मुश्किल होता है। यदि किसी तरह पुरुष अटेंडर अपने मरीज से मिल भी लेते हैं तो उनका संवाद डाक्टर और नर्स से नहीं हो पाता, लिहाजा उसे यह पता नहीं चलता कि आखिर उसके रोगी की स्थिति क्या है?

बेड बढ़ाने की दरकार

सूत्रों के अनुसार इस चिकित्सालय में महज १८०० बेड ही हैं जो रोगियों की आवक के अनुपात में बहुत कम है। आलम यह है कि प्रसव वार्ड सरीखे अन्य ब्लॉकों मे भी बेड की कमी है। नतीजतन उस वार्ड में भी रोगियों को फर्श पर सुलाने को विवश होना पड़ता है।

मामला-०१

पुदूचेरी के जिपमेर अस्पताल में चिकित्सक दुर्गादेवी की सीटी स्कैन, ईको टेस्ट और एचआईवी टेस्ट कराने को कहता है। पेट की बीमारी से परेशान वह लम्बी लाइन में खड़ी होकर अपने बारी का इंतजार करते करते परेशान हो जाती है। उनका आरोप है कि कतार में खड़े मरीजों से पहले कई रोगी स्थानीय कर्मचारियों की मदद से जांच करा लेते हंै जबकि अन्य राज्यों से आए रोगियों को जानकारी नहीं होने के कारण इधर-उधर भटकना पड़ता है लिहाजा उनको सभी जांच करवाने में ही सप्ताह भर निकल जाता है क्योंकि जांच सेंटर अलग-अलग ब्लॉक में स्थित है।

मामला-०२

पश्चिम बंगाल निवासी रतनलाल आंख के इलाज के लिए जिपमेर अस्पताल में रजिस्ट्रेशन के लिए जाता है लेकिन वहां मरीजों की कतार देखकर चौंक जाता है। चार दिन तक ओटीपी ब्लॉक के चक्कर लगाने के बाद उसका अस्पताल में रजिस्ट्रेशन हो पाता है। वह बताता है कि अभी तो सिर्फ रजिस्ट्रेशन ही करा पाया हूं, न जाने डाक्टर तक पहुंचने में कितना समय और लग जाएगा। रतनलाल के अनुसार वह आर्थिक रूप से बहुत कमजोर है इसलिए निजी अस्पताल में इलाज कराना उसके लिए संभव नहीं होने के कारण यहां इलाज के लिए आया है। वह पुदूचेरी में ही एक प्राइवेट कम्पनी में काम करता है। उसने बताया कि उसके गांव के बहुत से लोग इस अस्पताल में इलाज के लिए आते हैं। वे इसकी प्रशंसा करते हुए कहते हैं कि यहां इलाज में देर तो होती है, लेकिन इलाज बहुत पक्का किया जाता है वह भी निशुल्क।

इनका कहना है....

शेल्टर लगाए जाएं

जिपमेर अस्पताल में जहां हर दिन हजारों मरीज इलाज के लिए आते हैं वहीं इलाजरत रोगियों के साथ आए अटेंडरों के लिए शेल्टर बहुत कम है जिसके कारण दूरदराज से आए लोगों को खुले में सोने को विवश होना पड़ता है। समस्या तब होती है जब बारिश होने लगती है और भीगने से बचने के लिए उनको सिर छिपाने को जगह नहीं मिलती।एन.रंगनाथन, पुरुष अटेंडर

शौचालय की कमी

अस्पताल में शौचालयों का बहुत कमी है। इसके कारण महिलाओं को शौचालय में जगह नहीं मिलने पर खुले में शौच जाना पड़ता है। अस्पताल प्रशासन को यहां शौचालयों की संख्या बढ़ाना चाहिए।
जी.चित्रा देवी, महिला अटेंडर