
Rule of two months without rules
चेन्नई. करीब ढाई साल से बिना जनप्रतिनिधियों के नगर निगम में अब चुनाव के आसार जगे हैं। पिछले दिनों वार्डों के सीमांकन की कवायद भी पूरी कर ली गई थी।
अब लोकसभा के चुनाव संपन्न हो चुके हैं और ऐसे में आने वाले दिनों में स्थानीय निकाय चुनाव कराए जा सकते हैं। मौजूदा समय में चेन्नई महानगर निगम विशेष अधिकारी के भरोसे हैं।
ऐसे में चुने हुए प्रतिनिधि न होने से महानगर के विकास कार्य प्रभावित हो रहे हैं। इस साल महापौर का चुनाव सीधे जनता चुनकर करेगी। 1996 एवं 2001 के चुनाव में भी महापौर का चुनाव जनता के वोटों के आधार पर हुआ था।
इस संबध में विधानसभा में इस आशय का बिल पारित हो चुका है। प्रदेश के 12 निगमों के साथ ही टाउन पंचायत एवं नगरपालिका के मुखिया का चुनाव भी सीधे जनता के वोटों से होगा। जनता की राय, विभिन्न संस्थानों एवं जनप्रतिनिधियों की बात को तवज्जो देते हुए सीधे चुनाव कराने का निर्णय लिया गया। 1996 एवं 2001 के चुनाव के दौरान डीएमके का प्रतिनिधि महापौर चुना गया।
तब दोनों बार एम.के.स्टालिन महापौर चुने गए। 2006 में तत्कालीन डीएमके सरकार ने इस नियम को बदल दिया। विभिन्न जिलों में नामांकन का काम अंतिम चरण में हैं। कई जोनल कान्फ्रेंस हो चुकी हैं।
प्रदेश में 12 निगम, 124 नगरपालिका, 528 टाउन पंचायत एवं 12,528 पंचायतें हैं।
26 सितम्बर 2016 को अधिसूचना जारी की गई थी जिसमें 17 एवं 19 अक्टूबर 2016 को दो चरणों में चुनाव कराने की घोषणा की गई थी लेकिन बाद में चुनाव स्थगित कर दिए गए।
चेन्नई महानगर निगम में छह महीने के लिए विशेष अधिकारी की नियुक्ति की गई जिसे हर छह महीने बाद विस्तार दिया जाता रहा।
Published on:
28 May 2019 03:07 pm
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