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शहीद मेजर रामास्वामी के शौर्य को ओटीए का सलाम!

बहादुरी से दुश्मनों के दांत खट्टे करने वाले परमवीर चक्र विजेता शहीद मेजर रामास्वामी की प्रतिमा का चेन्नई के ओटीए में अनावरण किया गया।

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ota chennai paramveer chakra statue inaguration

salute for major ramaswamy for his bravery from ota chennai

-ओटीए के पहले और एकमात्र परमवीर चक्र विजेता की प्रतिमा का अनावरण
चेन्नई. अपनी बहादुरी से दुश्मनों के दांत खट्टे करने वाले राज्य के परमवीर चक्र विजेता शहीद मेजर रामास्वामी की प्रतिमा का चेन्नई के ऑफिसर्स ट्रेनिंग अकादमी (ओटीए) में मंगलवार को अनावरण किया गया। 46 साल पहले आज ही के दिन 16 जनवरी 1972 को मेजर रामास्वामी ने ओटीए में कमीशन हासिल किया था। ओटीएन ने उनकी बहादुरी और जज्बे को सलाम करते हुए ओटीए परिसर में उनकी विहंगम प्रतिमा स्थापित की है। ले.जनरल राम प्रताप, कर्नल रामा कृष्णन व अन्य वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने उनकी प्रतिमा का अनावरण किया। इस मौके पर ओटीए के कमांडेंट ले. जनरल राजन रविन्द्रन व मेजर रामास्वामी के छोटे भाई आर. रामानाथन भी मौजूद थे।
ओटीए चेन्नई से इकलौते परमवीर चक्र विजेता
13 सितंबर, 1946 को रामास्वामी का जन्म मुंबई में हुआ था। शहीद मेजर रामास्वामी का 16 जनवरी 1972 ओटीए में माहर रेजीमेंट में कमीशन हासिल किया। देश के सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र पाने वाले 21 लोगों में उनका नाम भी शामिल है। ओटीए और मेजर रामास्वामी से जुड़ी सबसे खास बात ये है कि ओटीए से परमवीर चक्र हासिल करने वाले वे इकलौते अधिकारी हैं।
लिट्टे के खिलाफ दिया था अदम्य शौर्य और साहस का परिचय
सेना में उनके अदम्य साहस को देखते हुए 25 नवम्बर,1987 को उन्हें श्रीलंकन सिविल वार में लिट्टे के खिलाफ जंग के लिए ऑपरेशन पवन के तहत नॉर्थ श्रीलंका भेजा गया। जंग के बाद जब वे लौट रहे थे तो देर रात घात लगाकर बैठे लिट्टे के लड़ाकों ने उन्हें घेर लिया। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी लगातार उनसे लड़ाई जारी रखी। लेकिन तभी अचानक एक लड़ाके ने उन्हें सीने में गोली मार दी। गोली लगने के बाद भी वे उससे लोहा लेते रहे और उसे मौत के घाट उतार दिया। अंतिम समय में भी वे लगातार अपने सैनिकों को प्रेरित करते रहे। इस दौरान उन्होंने पांच लड़ाकों को मार गिराया। लेकिन वे वीरगति को प्राप्त हुए। उनके अदम्य शौर्य और साहस का ये जीता जागता उदाहरण था।