
सुरक्षित और संरक्षित जंगलों के लिए जरूरी हैं गजराज की सुरक्षा
पिछले दस सालों में अकेले कोयम्बत्तूर के पास वाले जंगलों में कई हाथियों की मौत हो चुकी है। वन विभाग और पशुप्रेमियों ने हाथियों की बढ़ती मौतों पर गहरी चिंता व्यक्त की है।
अफ्रीका के बाद एशिया में हाथियों की संख्या दुनिया में सबसे ज़्यादा है। अकेले भारत में 27 हजार हाथी हैं। पिछली गणना के अनुसार तमिलनाडु में 2791 हाथी बताए गए। तमिलनाडु और आसपास के इलाकों के जंगलों में पारंपरिक हाथी मार्ग हैं। जब ये मार्ग मानव अतिक्रमण जैसी समस्याओं से प्रभावित होते हैं, तो हाथी अपना मार्ग बदलने लगते हैं। मार्ग बदल जाने से इनका खेत-खलिहानों और रिहायशी बस्तियों से गुजरना होता है जो नतीजतन मानव-पशु संघर्ष के हालात पैदा कर देते हैं।
जैव विविधता में योगदानवनों की हरियाली और सघनता के लिए हाथियों का होना जरूरी है। एक हाथी अपने जीवनकाल में हजारों पेड़ों के विकास का हेतु बनता है। हाथी के गोबर से निकलने वाले बीज एक तरह से नया पौधरोपण करते हैं। सदियों से हाथियों ने दुनिया के सबसे बड़े जंगलों को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हाथी जैव विविधता में योगदान देते हैं। पर्यावरणप्रेमियों का कहना है कि हाथियों के विनाश से वनों का विनाश होता है। वन विभाग की अपील है कि इनको सुरक्षित रखा जाए। सामान्य बाड़ाबंदी और मधुमक्खी की छतों की सुरक्षा भित्ति तैयार करने वाले कम जोखिमपूर्ण सुरक्षा उपायों से हाथियों को बचाया जा सकता है।
वनों की हरियाली और सघनता के लिए हाथियों का होना जरूरी है। एक हाथी अपने जीवनकाल में हजारों पेड़ों के विकास का हेतु बनता है। हाथी के गोबर से निकलने वाले बीज एक तरह से नया पौधरोपण करते हैं। सदियों से हाथियों ने दुनिया के सबसे बड़े जंगलों को बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। हाथी जैव विविधता में योगदान देते हैं। पर्यावरणप्रेमियों का कहना है कि हाथियों के विनाश से वनों का विनाश होता है। वन विभाग की अपील है कि इनको सुरक्षित रखा जाए। सामान्य बाड़ाबंदी और मधुमक्खी की छतों की सुरक्षा भित्ति तैयार करने वाले कम जोखिमपूर्ण सुरक्षा उपायों से हाथियों को बचाया जा सकता है।
पिछले कुछ वर्षों में बिना किसी स्वास्थ्य समस्या के हाथियों के अचानक मर जाने जैसी घटनाएं हो रही हैं। पिछले 10 वर्षों में, तमिलनाडु में 80 से अधिक हाथी करंट लगने से मारे गए। इसके अलावा ट्रेनों की चपेट में आने, मानव विस्फोटों से मरने, रहस्यमय बीमारियों, जहरीले पौधों को खाने और अवैध शिकार के कारण भी इनकी संख्या घट रही है। कोयम्बत्तूर वन अभयारण्य में 200 से अधिक हाथी हैं। लेकिन हाथी आमतौर पर एक जगह नहीं टिकते. वे पानी और भोजन के लिए एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाते रहते हैं। पिछले 2 महीनों में इस अभयारण्य में 12 हाथियों की मौत हो चुकी है।
Published on:
29 Jun 2023 11:49 am
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