वैसे यहां दुकानें तो बनाकर तैयार कर दी गई हैं लेकिन सात महीने के बाद भी इन दुकानों को किराये लेने कोई नहीं आया। इसलिए यात्रियों को खाने पीने की वस्तुओं के लिए इधर उधर भटकना पड़ता है। यात्रियों ने बताया कि परिसर में चाय और नाश्ते की व्यवस्था नहीं होने के कारण उनको बस टर्मिनस से बाहर राउंटाने पर जाना पड़ता है। वहां पर खाने पीने की वस्तुएं भी शुद्ध नहीं मिलती। एक यात्री सुब्रमणि ने बताया कि यहां कम से कम अम्मा वाटर की स्टॉल तो लगनी ही चाहिए ताकि यात्रियों को पेयजल की सुविधा तो मिल सके। इसके अभाव में मेट्रो वाटर के नल से पानी लेकर पीना पड़ता है।
बच्चे होते हैं परेशान
कालाहस्ती जा रही एक महिला यात्री निर्मला ने बताया की उनके दो बच्चे कोल्ड ड्रिंक पीने की जिद कर रहे हैं लेकिन बस टर्मिनस के अंदर इसकी कोई व्यवस्था नहीं है और बच्चों को अकेला छोडक़र बाहर जा नहीं सकती। इसी प्रकार नेलूर निवासी आर. सौंदरराजन का कहना था कि यहां बनाई गई दुकानों का किराया जो सीएमडीए ने तय किया है वह यहां पर होने वाले व्यापार के अनुपात में बहुत अधिक है इसलिए यहां अभी तक किसी भी व्यक्ति ने इन दुकानों में रुचि नहीं दिखाई है।
एटीएम है जरूरी
तिरुपति जा रहे यात्री प्रभुश्ंाकर का कहना था कि वह घर से पैसा लाना भूल गया। यहां आया तो एकटीएम नहीं मिला। मुझे यह पता नहीं था कि इतने बड़े बस टर्मिनस में एटीएम नहीं होगा। अब रुपए निकालने के लिए या तो मूलकडै जाना पड़ेगा या फिर रेडहिल्स।