
चेन्नई/नई दिल्ली. राजीव गांधी हत्याकांड के दोषी एजी पेरअरिवालन की रिहाई मामले में उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को सवालों की झड़ी लगाते हुए केंद्र सरकार से पूछा कि उसे क्यों नहीं रिहा कर दिया जाए? इस बारे में केंद्र सरकार सप्ताह भर में अपना मत स्पष्ट करे। साथ ही टिप्पणी की कि पेरअरिवालन क्यों इस मसले में अटका रहे कि उसकी रिहाई के आदेश राष्ट्रपति देंगे अथवा राज्यपाल?
सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार से भी पूछा कि उसकी रिहाई के बारे में फैसला कौन करेगा? पेरअरिवालन पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या का दोषी है और उम्रकैद की सजा काट रहा है। पेरारिवलन के वकील ने दलील दी कि उन्होंने 36 साल जेल में काट लिए हैं। उनका आचरण सही है और उन्हें जेल से रिहा किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एल नागेश्वर राव और जस्टिस बीआर गवई की पीठ ने कुछ सवालों के साथ मामले की सुनवाई ४ मई के लिए टाल दी है।
एआईएडीएमके सरकार ने सितम्बर २०१८ में पेरअरिवालन सहित सात उम्रकैद के सजायाफ्ताओं की रिहाई का प्रस्ताव पारित किया था। तत्कालीन राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित ने इस पर कोई निर्णय नहीं किया। नतीजतन पेरअरिवालन ने न्यायालय की शरण ली। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से यह भी पूछा कि क्या राज्य के राज्यपाल के पास राज्य मंत्रिमंडल द्वारा भेजी गई सिफारिश को बिना फैसला लिए राष्ट्रपति को भेजने की शक्ति है ?
सुप्रीम कोर्ट के सवाल व टिप्पणी
- राज्य कैबिनेट की सिफारिश वाली फाइल को राष्ट्रपति को अग्रेषित करने संबंधी राज्यपाल के क्या अधिकार हैं?
- पेरअरिवालन वाले मामले में हर बार विरोधाभासी जवाब मिलता है। राष्ट्रपति के पास जाए बगैर क्यों नहीं हम ही उनको रिहा कर दें?
- अगर राज्यपाल राज्य की कैबिनेट के प्रत्येक निर्णय के विपरीत आचरण करेंगे तो देश की संघीय व्यवस्था पर असर पड़ेगा। वे निजी विचार पर कैबिनेट के निर्णय के खिलाफ नहीं जा सकते।
- अभियोजक और तमिलनाडु सरकार पेरअरिवालन केस के सभी दस्तावेज तैयार रखे।
Published on:
27 Apr 2022 08:39 pm
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