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तमिलनाडु : औद्योगिक इकाई ट्रांसपोर्टर्स हड़ताल से प्रभावित

शुक्रवार से ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस की अगुवाई में शुरू की गई अनिश्चित कालीन हड़ताल रविवार को भी जारी रही। इस बेमियादी हड़ताल का असर अब राज्य की औद्योगिक इकाइयों पर साफ नजर आने लगा है।

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तमिलनाडु : औद्योगिक इकाई ट्रांसपोर्टर्स हड़ताल से प्रभावित


लॉरी हड़ताल के वाबजूद सब्जियों के भाव स्थिर
चेन्नई. भले ही पिछले तीन दिनों से जारी लॉरी एवं ट्रक हड़ताल ने देश भर के कई इलाकों में दैनिक उपयोग की वस्तुओं की कीमतों में उछाल ला दिया हो लेकिन चेन्नई के कोयम्बेडु सब्जी मंडी पर इसका कोई खास असर नहीं पड़ा है। कोयम्बेडु सब्जी मार्केट के पूर्व सलाहकार आर सांैदर्याराजन के अनुसार पिछले कुछ दिनों से चल रही लॉरी हड़ताल के कारण सब्जी मंडी में ट्रकों की आवक लगभग ५० प्रतिशत कम हो गई है लेकिन पहले से ही यहां सब्जियों का पर्याप्त स्टॉक होने के कारण सब्जियों की कीमत पर इसका कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अगर शीघ्र ही इस हड़ताल का कोई हल नहीं निकला तो आने वाले कुछ दिनों में सब्जियों की कीमतें भी आसमान छू सकती हैं।
इस बारे में साप्ताहिक ग्राहकों का कहना है कि विगत तीन दिनों से जॉरी लारी हड़ताल के कारण इस बार कोयम्बेडु सब्जी मंडी में ताजी सब्जियों की कमी साफ नजर आ रही है। इसके अलावा आलू, प्याज, टमाटर आदि के भाव में भी आंशिक तेजी आ गई है। हालांकि बींस, सेम, मटर एवं चुकंदर आदि हरी सब्जियों के भाव पर इस हड़ताल को कोई खास असर नहीं पड़ा है।
कोयम्बेडु सब्जी मार्केट में रविवार को सब्जियों के भाव कुछ इस प्रकार थे।

सब्जियों के नाम प्रतिकिलो/नग
आलू पुराना २५
आलू नया ३५
प्याज २२
टमाटर ३०
बींस ७०
सेम ५०
हरी मिर्च ७०
बीटरूट ३०
मूली ३०
गाजर ३०
करेला ४०
बैंगन ३०
लौकी २०
फूलगोभी ४०
बंदगोभी २०
मटर १००
परवल ६०
धनिया गड्डी १०
पुदीना गड्डी ०५


सेलम. शुक्रवार से ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस की अगुवाई में शुरू की गई अनिश्चित कालीन हड़ताल रविवार को भी जारी रही। इस बेमियादी हड़ताल का असर अब राज्य की औद्योगिक इकाइयों पर साफ नजर आने लगा है। आलम यह है कि राज्य की राजधानी चेन्नई की फैक्ट्रियों और गोदामों में तैयार माल भी इस हड़ताल की वजह से बाहर नहीं जा पा रहा है। कई ट्रांसपोर्ट मालिकों को श्रीपेरंबदूर, चेंगलपेट, गुम्डीपूंडी आदि इलाकों की कई औद्योगिक इकाइयों से ट्रक की मांग करते हुए लगातार फोन आ रहे हैं लेकिन हड़ताल के कारण कोई भी ट्रांसपोर्ट कम्पनी इन कंपनियों में अपनी लॉरी लगाने की हिम्मत नहीं दिखा पा रही है।
एक ट्रांसपोर्ट कम्पनी के प्रबंधक महेश कुमार ने बताया कि पिछले तीन दिनों में विभिन्न कंपनियों द्वारा करीबन दस ट्रकों की मांग की जा चुकी है लेकिन हड़ताल के कारण वे कहीं भी अपनी लॉरी भेज पाने में असमर्थ हैं। उन्होंने बताया कि हड़ताल समर्थकों ने पिछले शनिवार को बेंगलूरु में एक लॉरी को आग लगा दी थी। इसलिए ट्रांसपोर्ट कंपनी मालिक अपनी गाड़ी देने से घबरा रहे हैं।
- सेलम की कंपनियों में ९० प्रतिशत मालवाहन ठप
तमिलनाडु के सेलम जिले समेत राज्य के कई अन्य पश्चिमी जिलों की औद्योगिक इकाइयों में इस हड़ताल के चलते तैयार माल जस का तस पड़ा हुआ है। ढुलाई के लिए ट्रक नहीं मिलने के कारण हजारों टन तैयार माल फैक्ट्रियों और वेयर हाउसों में ही पड़ा हुआ है। इस हड़ताल को लेकर कई लॉरी मालिकों का कहना है कि केवल तीन दिनों में ही इसके चलते सरकार से लेकर औद्योगिक इकाइयों तक को करोड़ों रुपए का व्यावसायिक घाटा हो चुका है।
तमिलनाडु लॉरी बुकिंग एजेंट फेडरेशन के अध्यक्ष राजवेदुवेलू ने बताया कि हड़ताल की वजह से हल्दी, कपड़े, सोयाबीन एवं स्टील के सामान आदि करोड़ों रुपए का माल कंपनियों के गोदामों में भरा पड़ा है। उन्होंने बताया कि ढुलाई के लिए ट्रक नहीं मिल पाने के कारण उद्योग मालिकों को भी काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसके अलावा वेयर हाउस और कम्पनियों में मजदूरी और ट्र्र्रक चलाने वाले लोगों को भी काम के अभाव में घर बैठना पड़ रहा है। जिले के सेवैपेट्ैय बाजार के कामगारों ने राज्य और केंद्र सरकार से जल्द से जल्द हड़तालियों की मांग मानकर हड़ताल समाप्त कराने की मांग की है ताकि उन्हें उनका काम वापस मिल सके और आराम से उनकी रोजी-रोटी चल सके।
विगत तीन दिनों से चल रहे ट्रांसपोर्टरों की हड़ताल पर टिप्पणी करते हुए सेलम जिले के लॉरी मालिक एसोसिएशन केे अध्यक्ष सेन्नाकेशवन ने बताया करीबन ९० प्रतिशत लॉरियां हड़ताल पर हैं और बाकी १० प्रतिशत लॉरियां भी हड़ताल की वजह से लोड नहीं भर रही हैं। इसके चलते दैनिक जरूरत वाले फल, सब्जी और दूध जैसे सामानों के भाव भी अब बढऩे लगे हैं। हालांकि राहत की बात यह है कि पर्याप्त स्टॉक होने के कारण चावल, दाल और तिलहन के दाम अभी सामान्य हैं।
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ट्रक चालक और मजदूर प्रभावित

सामान्य दिनों में ट्रक चलाकर मैं प्रतिदिन ५०० से १००० रुपए तक कमा लेता था, लेकिन हड़ताल के कारण पिछले तीन दिनों से घर पर ही बेकार बैठा हूं। यह हड़ताल यदि अधिक दिनों तक चली तो मेरे जैसे कई ट्रक चालकों के यहां दाल-रोटी के लाले पड़ जाएंगे।
श्रीनिवासन, ट्रक चालक
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शुक्रवार से रविवार तक मुझे ट्रक लोड करने का एक भी काम नहीं मिला। इस बेमियादी हड़ताल ने हम जैसे सभी दिहाड़ी मजदूरों को भी बेरोजगार बना दिया है जो सामान्य दिनों में ट्रकों की लोडिंंग-अनलोडिंग का काम करते हैं।
उमेश, दिहाड़ी मजदूर