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आध्यात्म जगत के महान साहित्यकार थे आचार्य महाप्रज्ञ : मुनि ज्ञानेन्द्रकुमार

जैन तेरापंथ धर्मसंघ के दशमाचार्य महाप्रज्ञ जन्मशताब्दी वर्ष के शुभारम्भ पर श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा की ओर से मुनि ज्ञानेन्द्रकुमार एवं मुनि...

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The great writers of the spiritual world were Acharya Mahapragya: Muni Gyanendra Kumar

The great writers of the spiritual world were Acharya Mahapragya: Muni Gyanendra Kumar

चेन्नई।जैन तेरापंथ धर्मसंघ के दशमाचार्य महाप्रज्ञ जन्मशताब्दी वर्ष के शुभारम्भ पर श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा की ओर से मुनि ज्ञानेन्द्रकुमार एवं मुनि रमेशकुमार, मूर्तिपूजक आचार्य तीर्थभद्रसूरि और स्थानकवासी श्रमण संघ की साध्वी डॉ हेमप्रभा ‘हिमांशु’ के सान्निध्य में पेरम्बूर बैरेक्स रोड स्थित लक्ष्मी महल में रविवार को श्रद्धा समर्पण समारोह आयोजित किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राजस्थानी एसोसिएशन तमिलनाडु के पूर्व अध्यक्ष कैलाशमल दुगड़ और विशिष्ट अतिथि राजस्थान रत्न सुगालचन्द जैन थे। कार्यक्रम की शुरूआत ज्ञानेन्द्रकुमार के मंगल मंत्रोच्चार से हुई। तेरापंथ सभा के अध्यक्ष विमल चिप्पड़ ने उपस्थित अतिथियों का स्वागत किया।

अपने संबोधन में मुनि ज्ञानेन्द्रकुमार ने कहा कि आज का आदमी अपनी कल की चिंता करने की वजह से वर्तमान को खो रहा है। जिससे वह शारीरिक और मानसिक रुप से दु:खी हो रहा है। इसलिए कल की नहीं बल्कि आज की सोचनी चाहिए। उन्होंने कहा महाप्रज्ञ अहिंसा यात्रा के मूल सूत्रों में कहते थे कि व्यक्ति बेरोजगारी, भुखमरी के कारण हिंसक बनता हैं। इसलिए व्यक्ति को अहिंसक बनाने के लिए उनकी भूख को मिटाने से ज्यादा उसके समाने भूख मिटाने का वातावरण उपस्थित करना श्रेयस्कर होगा। महाप्रज्ञ ने अपने गुरु तुलसी के बताए मार्ग का अनुसरण कर उसे आत्मसात किया। तभी वे नथु से महाप्रज्ञ, महाप्रज्ञ से आचार्य महाप्रज्ञ और आचार्य महाप्रज्ञ से भगवान महाप्रज्ञ बने। ऐसे में उनके बताए विचारों का अनुसरण कर चिन्ता मुक्त जीवन जीने के लिए आगे बढऩा चाहिए।

मुनि रमेशकुमार ने कहा कि विद्या से विनम्रता और प्रज्ञा से पवित्रता की यात्रा का नाम हैं आचार्य महाप्रज्ञ। तीर्थभद्रसूरी ने कहा कि भगवान महावीर के बताए अहिंसा, अपरिग्रह, अनेकांत के मार्ग पर चल कर महाप्रज्ञ ने अपने जीवन को एक दम सरल बना लिया था। महापुरुषों को तभी सच्ची श्रद्धांजलि दी जाएगी जब हम भी उनके बताए मार्ग का अनुसरण कर जीवन में बदलाव लाने का प्रयास करेंगे।
साध्वी हेमप्रभा ने कहा कि आत्मा को आधार बना कर तेरापंथ के आचार्य होते हुए भी महाप्रज्ञ सम्प्रदायतित आचार्य बने। व्यक्ति वातावरण से बनते हैं और विशिष्ट व्यक्ति वातावरण को बनाते हैं। महाप्रज्ञ ने अपने जीवन में क्षमा और सरलता को धारण किया था जिससे वे देश ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के संत बन गए।

कैलाशमल दुगड़ ने कहा कि वे तेरापंथ धर्मसंघ के अनुशासन, एकता, संगठन, समानुकूल परिवर्तन के लिए आकर्षित है। महाप्रज्ञ ने भिक्षु विचार दर्शन से तेरापंथ की विचारधारा को समाज के सामने प्रस्तुत किया। सुगालचन्द ने कहा कि महाप्रज्ञ ने हमें जैन दर्शन और जीवन विज्ञान में जो जीवन जीने की कला सिखाई है उसको अपने जीवन में धारण कर व्यक्तित्व का विकास करना चाहिए।

प्रमुख वक्ता तमिलनाडु अल्पसंख्यक आयोग के पूर्व सदस्य दमनप्रकाश राठोड़ ने कहा कि महाप्रज्ञ ने अपने साहित्य के द्वारा समाज को मार्गदर्शन दिया। इसी बीच ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं ने गीतिका के माध्यम से भावों की प्रस्तुति की। तेयुप अध्यक्ष प्रवीण सुराणा, महिला मंडल की निवर्तमान अध्यक्ष कमला गेलड़ा, टीपीएफ मंत्री कमल बोहरा, अणुव्रत समिति की निवर्तमान अध्यक्ष माला कातरेला ने भी अपनी भावांजलि अर्पित की।

समारोह के संयोजक पुखराज बड़ौला ने अतिथियों का परिचय दिया। अभातेयुप एटीडीसी के राष्ट्रीय संयोजक भरत मरलेचा ने अभातेयुप द्वारा महाप्रज्ञ जन्मशताब्दी वर्ष पर देश भर में आचार्य महाप्रज्ञ मेडिकल स्टोर के शुभारम्भ की जानकारी के साथ तेयुप अध्यक्ष प्रवीण सुराणा और मंत्री दिलीप भंसाली ने बैनर का अनावरण किया। मुनि सुधांशुकुमार द्वारा जन्म शताब्दी के अवसर पर रचित गीत को महेन्द्र सिंघी ने प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन मुनि विनीतकुमार ने किया। सभा मंत्री प्रवीण बाबेल ने आभार ज्ञापित किया। इस मौके पर प्यारेलाल पितलिया समेत अन्य अतिथि भी उपस्थित थे।