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राम और रामराज्य का कोई पूरक नहीं हो सकता : राज्यपाल

तमिलनाडु के राज्यपाल आर. एन. रवि ने शनिवार को रचनाकार डा. डी. के. हरि और डी. के. हेमा हरि की पुस्तक ‘श्रीराम और तमिलगम’ के अंग्रेजी, हिन्दी और तमिल संस्करण का विमोचन किया।

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चेन्नई. राज्यपाल आर. एन. रवि ने शनिवार को जोर देते हुए कहा कि राम और रामराज्य का कोई प्रतिस्थापन नहीं हो सकता। वे रचनाकार डा. डी. के. हरि और डी. के. हेमा हरि की पुस्तक ‘श्रीराम और तमिलगम’ के अंग्रेजी, हिन्दी और तमिल संस्करण का विमोचन कर कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

राजभवन में आयोजित इस कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि तुगलक पत्रिका के संपादक एस. गुरुमूर्ति और तमिलनाडु के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री डा. एच. वी. हंडे थे। भारत ज्ञान के ट्रस्टी श्रीनिवास स्वामी ने सभी का स्वागत किया। रचनाकारों ने पुस्तक का परिचय देते हुए राज्यपाल से अनुरोध किया कि तमिलनाडु में रामायण संग्रहालय की स्थापना की जाए।
गुरुमूर्ति ने कहा, राम ने देश को भौतिक और मानसिक रूप से जोड़ा हैं। उन्होंने भारत को पुनर्परिभाषित किया है। आज तमिलनाडु में जो गलत सोच विकसित की जा रही हैं उनका समाधान बौदि्धक और सांस्कृतिक बदलाव से ही संभव है। एचवी हंडे ने पुस्तक में वर्णित सामग्री और उसके पीछे के शोध के लिए लेखकों को बधाई दी।
राम कौन है का नरेटिव समाप्त करने के लिए
राज्यपाल रवि ने कहा कि इस पुस्तक की आवश्यकता इसलिए महसूस की गई कि तमिलनाडु में राम कौन है का नरेटिव तेजी से फैलाया जा रहा था। युवाओं को सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत से वंचित किया जा रहा था। इसे ‘सांस्कृतिक संहार’ कहना गलत नहीं होगा। लेकिन यह सत्य है कि पूरे देश में कहीं भी यात्रा करें, एक इंच का क्षेत्र भी ऐसा नहीं होगा, जहां राम नहीं हैं। देश में कई मंदिर तोड़े गए लेकिन राम की स्मृति तब भी बनी रहीं क्योंकि वे जनमानस में बसे हैं। तमिलनाडु इसका अपवाद नहीं है। देश को एकता सूत्र में बांधे रखने के लिए ही महात्मा गांधी ने ‘रघुपति राघव राजा राम’ भजन गया था।

धर्म के बिना भारत नहीं

उन्होंने दोहराया कि धर्म के बिना भारत नहीं हो सकता। भारत सदियों से धर्म प्रधान रहा है। सनातन धर्म समावेशी विचारधारा का पोषक है, जिसमें आस्तिक, नास्तिक, आकारी-निराकारी, सगुण-निर्गुण सभी की स्वीकार्यता है। भगवान राम छवियों के जरिए संविधान में भी हैं। आजादी के बाद ब्रिटिश हुकूमत वाली सोच के कारण हमारी दिशा बदल गई। हम और गरीब हो गए। हमारे पिछड़ने की वजह यह थी कि हमने हमें बनाए रखने वाली शक्ति के स्रोत राम को भुला दिया था। अब विकास के लिए पुनर्जागरण की आवश्यकता है। राष्ट्र के विकास के लिए हमें भौतिक और आध्यात्मिक रूप से सशक्त होना पड़ेगा।
सबल और समर्थ भारत

राज्यपाल ने कहा कि राम केवल भारत के लिए नहीं हैं। युद्ध रोकने, गरीबी और पर्यावरण संरक्षण के लिए हमें ऋषि परम्परा और वसुधैव कुटुम्बकम की अवधारणा को अपनाना होगा। इस विश्व के हित में भारत को सबल और समर्थ बनना होगा। राम और रामराज्य का पूरक और कुछ नहीं हो सकता। राज्यपाल के भाषण से पहले दीप प्रज्वलन हुआ। उससे पहले राम स्तुति, जटायु मोक्ष पर आधारित भरतनाट्यम की प्रस्तुति दी गई।