
वन्नीयार आरक्षण कोर्ट ने आंतरिक कोटा के संचालन पर रोक लगाने से किया इंकार
चेन्नई. मद्रास हाईकोर्ट ने बुधवार को स्पष्ट किया कि शैक्षणिक संस्थानों में किए गए किसी भी प्रवेश और राज्य सरकार की सेवाओं में 10.५ प्रतिशत वन्नीयार आरक्षण के तहत नियुक्तियां आंतरिक कोटा की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं के परिणाम के अधीन होंगी। न्यायाधीश एमएम सुंदरेश और न्यायाधीश एस. कन्नम्मल की डिवीजन बेंच ने आरक्षण प्रदान करने वाले कानून के संचालन पर रोक लगाने से इंकार करते हुए अंतरिम आदेश पारित किया।
साथ ही कोर्ट ने याचिकाओं पर अंतिम सुनवाई के लिए 14 सितंबर की तारीख तय की। कोर्ट ने कहा कि कोर्ट ऐसे प्रवेशों और नियुक्तियों के पक्षकारों को नोटिस पर आदेश पारित करने के लिए इच्छुक है। इससे पहले सरकारी महाधिवक्ता आर. षणमुगसुंदरम ने कहा कि याचिकाकर्ता सुप्रीम कोर्ट और यहां तक कि इस अदालत की पहली पीठ से अंतरिम रोक लगाने में विफल रहा है।
इसलिए इस अदालत के समक्ष इस तरह के आदेश के लिए दबाव डालना उचित नहीं है। राज्य के रूख का समर्थन करते हुए वरिष्ठ वकील जी. मासिलामणि ने तर्क दिया कि इस स्तर पर अंतरिम रोक लगाने से प्रवेश प्रक्रिया ठप हो जाएगी और छात्रों के मन में भ्रम पैदा होगा कि पाठ्यक्रमों में शामिल होना है या नहीं।
दलील का विरोध करते हुए याचिकाकर्ता के वरिष्ठ वकील केएम विजयन ने कहा कि अदालत को अकेेले शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के खिलाफ अंतरिम रोक लगानी पड़ी, क्योंकि अगर मामला उनके पक्ष में तय किया गया तो इसे वापस नहीं किया जा सकता है।
Published on:
25 Aug 2021 06:04 pm
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