
एक्ट में संशोधन, लेकिन अमल नहीं
छतरपुर। शहर के विस्तार के साथ सभी दिशाओं में नई कॉलोनियां बसाई गई। लेकिन इन कॉलोनियों में मूलभूत सुविधाएं कॉलोनाइजर्स ने नहीं दी। वहीं, नगरपालिका के रिकॉर्ड में ये कॉलोनियां अवैध होने से नगरपालिका भी इन इलाकों में सुविधाएं नहीं दे पा रही है। पूरे शहर में 100 कॉलोनियां हैं, लेकिन केवल 17 कॉलोनियां ही वैध है, जबकि 83 कॉलोनियां अभी भी अवैध है, जिन्हें वैध करने की प्रक्रिया पिछले छह साल से चल रही है, लेकिन कॉलोनियां वैध नहीं हो पाई है, ऐसे में इन कॉलोनियों के रहवासियों को सड़क, पानी, बिजली और नाली जैसी मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल पा रही हैं।
एक्ट में संशोधन, लेकिन अमल नहीं
नगरपालिका में अवैध दर्ज कॉलोनियों में अब घनी बसाहट हो गई है। इन कॉलोनियों के मकान भी नगरपालिका में पंजीकृत हैं। डायवर्सन भी कराया गया है। रेरा में पंजीयन शुरु होने से पहले नगरपालिका ने इन कॉलोनियों के दावे आपत्ति भी प्रकाशित कराए दिए थे। जबसे इनको वैध करने की प्रक्रिया चल रही है। बीच में हाईकोर्ट ग्वालियर खंडपीठ ने ऐसी कॉलोनियों पर रोक लगा दी थी, जहां नियमों का पालन नहीं किया गया। हालांकि प्रदेश सरकार ने इन कॉलोनियों को वैध करने के लिए एक्ट में संशोधन किया है। मुख्यमंत्री भी कह चुके है कि शहरों में बस गई अवैध कॉलोनियों को वैध किया जाएगा। लेकिन इसके वाबजूद कॉलोनियों को वैध करने की प्रक्रिया छह साल से चल रही है, लेकिन पूरी नहीं हो सकी।
अवैध कॉलोनी बसाने वालों पर एफआइआर
राज्य सरकार ने अवैध कॉलोनियों को वैध करने के नए नियम जारी किए थे, जिसके मुताबिक 31 दिसंबर 2016 से पहले अस्तित्व में आई कॉलोनियों को विकसित किया जाएगा। नागरिक अधोसंरचना जैसे सड़क, बिजली, पानी, सीवेज सिस्टम, पार्क आदि विकसित करने की प्रक्रिया सक्षम अधिकारी (नगर निगम क्षेत्र में आयुक्त नगर निगम, नगर पालिक या नगर परिषद क्षेत्र में कलेक्टर) शुरु कराएंगे। लेकिन डेवलपमेंट की प्रक्रिया शुरु करने से पहले अवैध कॉलोनी के डवलपर के खिलाफ मध्यप्रदेश नगर पालिक अधिनियम की धारा 292 ग, नगरपालिका अधिनियम की धारा 339 ग के तहत एफआईआर दर्ज कराई जाएगी। सरकारी भूमि पर बनाई गई कॉलोनियां डवलप नहीं की जाएगी।
ऐसे होगा अवैध कॉलोनियों का डवलपमेंट
अवैध कॉलोनी में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए सक्षम अधिकारी ले आउट तैयार करेंगे। उक्त ले आउट पर प्रॉपर्टी मालिक आपत्तियां दर्ज करा सकेंगे। जिसके आधार पर फाइनल ले आउट तैयार किया जाएगा। इसी ले आउट के आधर पर कॉलोनी के डेवलपमेंट की योजना तैयार की जाएगी। डवलपमेंट में होने वाला खर्च, समय सीमा और प्रॉपर्टी धारकों से वसूला जाने वाला विकास शुल्क तय किया जाएगा।
प्रॉपर्टी धारकों को देना होगा 50 फीसदी विकास शुल्क
अवैध कॉलोनी में यदि 70 फीसदी जनसंख्या गरीब वर्ग की होगी तो डवलपमेंट के लिए रहवासियों को 20 फीसदी विकास शुल्क जमा करना होगा। बाकि 80 फीसदी राशि संबंधित निकाय वहन करेंगे। लेकिन मध्यम या उच्च वर्ग के रहवासियों को 50 फीसदी विकास शुल्क वहन करना होगा। विकास शुल्क किश्तों में भी जमा किया जा सकेगा। इसके नियम सक्षम अधिकारी तय करेंगे। विकास शुल्क जमा करने के लिए प्रॉपर्टी धारक लोन भी ले सकेंगे। विकास शुल्क जमा न करने की स्थिति में भू-राजस्व के बकाया के तौर पर वसूली की जाएगी। कॉलोनी में डेवलपमेंट जैसे पार्क आदि के लिए भूमि उपलब्ध नहीं होगी तो सक्षम अधिकारी अपेक्षित भूमि के मूल्य का अनुमान लगाकर अवैध कॉलोनी के डवलपर से अनुमानित शुल्क का डेढ़ गुना राशि की वसूली करेंगे। विकास शुल्क जमा होने के 5 साल के भीतर ले आउट के अनुसार डवलपमेंट पूरा करना होगा। समय-सीमा बढऩे पर डवलपमेंट का अतिरिक्त खर्च संबंधित निकाय को उठाना होगा। वहीं विकास शुल्क जमा करने के बाद बिल्डिंग परमिशन या कंपाउंडिंग के लिए आवेदन कर सकेंगे।
Published on:
23 Mar 2022 11:01 am
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