निराश्रित पशुओं के कारण ज्यादा हो रही सडक़ दुर्घटनाएं
सडक़ दुर्घटनाओं का एक बड़ा कारण जिले में घूम रहे निराश्रित पशु हैं, जिनके चलते रोजाना सडक़ हादसे हो रहे हैं। तेज गति से आ रहे वाहन इन जानवरों को देखते ही हादसे का शिकार हो जाते हैं। स्थिति इतनी गंभीर हो चुकी है कि अब यह पशु जानलेवा साबित हो रहे हैं। कलेक्टर द्वारा गौशालाओं में निराश्रित पशुओं को भेजने के निर्देश दिए गए थे, लेकिन प्रशासनिक लापरवाही के कारण इन आदेशों का कोई असर नहीं दिख रहा है।
रोजाना 10 हजार वाहन
छतरपुर में सडक़ दुर्घटनाओं की सबसे बड़ी वजह सागर-कानपुर हाइवे और झांसी-खजुराहो हाइवे है, जो जिले से गुजरते हैं। इन हाइवे पर लगभग 10000 से ज्यादा वाहन प्रतिदिन फर्राटे मारते हैं, जिनके बीच इन सडक़ों पर घूमते पशु दुर्घटनाओं का कारण बन रहे हैं। खासकर, इन हाइवे पर आवारा जानवरों की संख्या इतनी अधिक है कि वे दिन-रात सडक़ों पर बैठे रहते हैं। नगर पालिका की जिम्मेदारी है कि शहरी क्षेत्रों में आवारा जानवरों को पकड़े, लेकिन नगर पालिका की कार्रवाई बहुत ही सीमित और यदाकदा होती है।
नौगांव एरिया के फोरलेन पर ज्यादा हादसे
खजुराहो-झांसी हाइवे पर नौगांव इलाके में अब तक 300 से अधिक सडक़ हादसे हो चुके हैं। टोल ठेकेदारों की भी इसमें बड़ी भूमिका है क्योंकि वे वाहन चालकों से टैक्स तो वसूलते हैं, लेकिन सडक़ सुरक्षा के लिए जरूरी उपायों की ओर कोई ध्यान नहीं देते। हाइवे पर जहां-तहां बैठे पशुओं को हटाने या उनके सींगों पर रेडियम लगाने की कोई व्यवस्था नहीं की जाती है। रात के समय इन जानवरों को देख पाना और भी मुश्किल होता है, जिससे दुर्घटनाओं के खतरे और भी बढ़ जाते हैं।
सडक़ हादसों की संख्या हर महीने
पिछले कुछ महीनों के आंकड़े बताते हैं कि छतरपुर जिले में हर महीने दुर्घटनाओं का सिलसिला जारी रहा है। जनवरी से लेकर दिसंबर तक, जिले में सडक़ों पर होने वाली दुर्घटनाओं का आंकड़ा कुछ इस प्रकार रहा
माह दुर्घटनाएं
जनवरी- 259 दुर्घटनाएं
फरवरी- 241 दुर्घटनाएं
मार्च- 314 दुर्घटनाएं
अप्रेल- 397 दुर्घटनाएं
मई- 288 दुर्घटनाएं
जून- 224 दुर्घटनाएं
जुलाई- 241 दुर्घटनाएं
अगस्त- 158 दुर्घटनाएं
सितंबर- 194 दुर्घटनाएं
अक्टूबर- 248 दुर्घटनाएं
नवंबर- 264 दुर्घटनाएं
दिसंबर- 84 दुर्घटनाएं
एनएचएआई की लापरवाही
एनएचएआई द्वारा झांसी-खजुराहो फोरलेन पर सुरक्षा कार्यों के लिए 7 करोड़ रुपए के टेंडर जारी किए गए थे, लेकिन इसका क्रियान्वयन अब तक नहीं हो पाया है। कलेक्टर पार्थ जैसवाल ने पहले ही आदेश जारी किया था कि हाइवे पर अगर गौवंश दिखे, तो एनएचएआई के प्रोजेक्ट डायरेक्टर को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। इसके बावजूद, इस निर्देश का पालन नहीं हो रहा है, और सडक़ दुर्घटनाओं की समस्या जस की तस बनी हुई है।