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सिलाई व हैंडीक्राफ्ट से अपने परिवार का आर्थिक बोझ कम कर रहीं 340 महिलाएं

शहर की महिलाओं ने यह साबित कर दिखाया है कि अगर अवसर मिले तो महिलाएं आर्थिक और सामाजिक रूप से खुद को सशक्त बना सकती हैं।

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प्रशिक्षण

कभी घर की चारदीवारी तक सीमित रहने वाली महिलाएं आज आत्मनिर्भरता की मिसाल बन रही हैं। शहर की महिलाओं ने यह साबित कर दिखाया है कि अगर अवसर मिले तो महिलाएं आर्थिक और सामाजिक रूप से खुद को सशक्त बना सकती हैं। संगम सेवालय द्वारा चार साल से चलाए जा रहे निशुल्क सिलाई और हैंडीक्राफ्ट प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से अब तक 340 महिलाएं अपने पैरों पर खड़ी हो चुकी हैं। इनमें से कई महिलाएं आज हर माह 8 से 10 हजार रुपए तक की आय अर्जित कर अपने परिवार की आर्थिक रीढ़ बन गई हैं।

लॉकडाउन से शुरू हुई आत्मनिर्भरता का सफर

अंजू अवस्थी बताती हैं कि यह पहल वर्ष 2021 में कोरोना लॉकडाउन के दौरान शुरू हुई। उस समय कई महिलाएं, जो घरों या दुकानों में काम करती थीं, अचानक बेरोजगार हो गईं। इसी दौरान अंजू अवस्थी के घर पर काम करने वाली महिला ने सिलाई सीखने की इच्छा जताई। उन्होंने उसे प्रशिक्षण देना शुरू किया, और यहीं से संगम सेवालय का आत्मनिर्भरता अभियान शुरू हुआ। धीरे-धीरे यह छोटा प्रयास एक बड़ा मिशन बन गया। अंजू अवस्थी ने अपने निजी स्कूल परिसर में एक प्रशिक्षण केंद्र की स्थापना की। सिलाई सिखाने के लिए संगीता चौरसिया और हैंडीक्राफ्ट के लिए मंजू तिवारी को प्रशिक्षिका के रूप में जोड़ा गया। दोनों प्रशिक्षिकाएं हर छह माह में 30-30 महिलाओं के बैच को प्रशिक्षण देती हैं।

कपड़े से कला तक- हुनर की नई उड़ान

संगम सेवालय में महिलाओं को सिर्फ कपड़ों की सिलाई ही नहीं, बल्कि रचनात्मकता को रोजगार में बदलने की कला भी सिखाई जाती है। यहां महिलाएं ब्लाउज, सूट और पैंट-शर्ट की कटिंग और सिलाई सीखने के साथ-साथ बंधनबार, तोरण द्वार, पैरदान, भगवान के आसन, कपड़े के पर्स और सजावटी सामान बनाना भी सीखती हैं। हैंडीक्राफ्ट में बची-कूची कतरनों से आकर्षक सजावट की वस्तुएं तैयार की जाती हैं, जिससे न केवल कमाई होती है, बल्कि वेस्ट से बेस्ट का उदाहरण भी सामने आता है।

अब हर घर में एक उद्यमी महिला

हल्की बाई रैकवार (चौबे कॉलोनी) पहले एक गृहणी थीं, अब अपने घर में सिलाई का छोटा व्यवसाय चला रही हैं। हैंडीक्राफ्ट की चीजें बनाकर और कपड़े सिलकर हर माह 10000 तक की कमाई कर रही हैं।गुलाब प्रजापति (सटई रोड) — जो पहले घर-घर काम करती थीं, अब सिलाई मशीन खरीदकर शाम के समय कपड़े सिलती हैं। उन्हें 7-8 हजार की अतिरिक्त आमदनी होती है।राधा बंसल (छुई खदान) — एक निजी अस्पताल में स्वीपर का काम करने वाली राधा ने दो साल पहले प्रशिक्षण लिया। अब वह दोपहर बाद सिलाई और हैंडीक्राफ्ट के काम से 9 हजार तक की आय अर्जित कर रही हैं।फोटो- सीएचपी 161025-72- प्रशिक्षण