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‘झांसी-खजुराहो 4-लेन’ पर लगी 80 इमरजेंसी कॉल बेल, तय की गई स्पीड

MP News: प्रशासन और टोल प्रबंधन ने इस मार्ग को हाईटेक सुरक्षा से लैस कर दिया है। फोरलेन पर अब हर दो किलोमीटर की दूरी पर इमरजेंसी कॉल बेल सिस्टम लगाया गया है।

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Photo Source: Patrika

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MP News: झांसी-खजुराहो फोरलेन पर अब सफर करना और सुरक्षित हो गया है। जिले की सीमा के भीतर पूरे फोरलेन मार्ग पर नई तकनीक और त्वरित सहायता के लिए ऐसी व्यवस्था की गई है जो किसी भी यात्री को आपात स्थिति में राहत दिलाने के साथ-साथ वाहनों की तेज रफ्तार पर भी लगाम लगाएगी। प्रशासन और टोल प्रबंधन ने इस मार्ग को हाईटेक सुरक्षा से लैस कर दिया है।

फोरलेन पर अब हर दो किलोमीटर की दूरी पर इमरजेंसी कॉल बेल सिस्टम लगाया गया है। विशेष पीले पोल पर टेलीफोन जैसी कॉल बेल लगाई गई हैं, जिनके जरिए सफर कर रहे किसी भी यात्री को अगर मदद की जरूरत पड़े तो वह तुरंत बटन दबाकर मदद मंगा सकता है। कॉल बेल का सिग्नल पचवारा और देवगांव टोल प्लाजा के नियंत्रण कक्ष तक पहुंचता है। वहां से टीम रवाना होती है और मदद पहुंचाई जाती है।

एंबुलेंस और क्रेन की मिलेगी सुविधा

फोरलेन पर कुल 80 कॉल बेल लगाई गई हैं। 40 बाईं ओर, 40 दाईं ओर। यात्री 1033 नंबर पर कॉल करके भी दिल्ली स्थित सेंट्रल कंट्रोल से संपर्क कर सकते हैं। पचवारा टोल प्लाजा पर एक एंबुलेंस और एक क्रेन 24 घंटे उपलब्ध रहेगी।

15 कैमरे लगाए

यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने फोरलेन पर 15 हाईटेक कैमरे लगाए गए हैं। इनमें 8 पैन-टिल्ट-जूम कैमरे और सात वीडियो इनसीडेंट डिटेक्शन सिस्टम कैमरे हैं। ये चौबीसों घंटे सड़क की हर गतिविधि पर नजर रखते हैं। इसके अलावा आठ वेरिएबल मैसेजिंग सिस्टम लगाए गए हैं जो यात्रियों को अलर्ट, ट्रैफिक अपडेट और जरूरी जानकारी दिखाते हैं। कैमरों की फीड कंट्रोल रूम में मॉनिटर होती है, ताकि संदिग्ध गतिविधि या सड़क पर रुकावट की सूचना तुरंत मिल सके।

स्पीड 100 किलोमीटर

फोरलेन पर कारों की अधिकतम गति सीमा 100 किलोमीटर प्रतिघंटा और ट्रकों की 80 किलोमीटर प्रतिघंटा तय की गई है। तेज रफ्तार में दौड़ने वाले वाहनों की पहचान कैमरों से की जा सकेगी। कैमरों की मदद से वाहन का नंबर और लोकेशन रिकॉर्ड होगी।

झांसी-खजुराहो फोरलेन पर यह नई व्यवस्था यात्रियों के लिए राहत और सुरक्षा की नई उम्मीद लेकर आई है। अब अगर किसी का वाहन बीच रास्ते में खराब हो जाए, कोई हादसा हो जाए या किसी को तत्काल मदद की जरूरत पड़े तो हर दो किलोमीटर पर मौजूद कॉल बेल उसके लिए जीवनरक्षक साबित होगी।