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अमृतं जलम् अभियान: सड़वा के जलाशय की चार घंटे में सफाई, स्वयंसेवकों ने बहाया श्रम, जलाशय को किया कचरा और काई से मुक्त

अमृतं जलम् अभियान और शासन के जल गंगा संवर्धन अभियान के संयुक्त तत्वावधान में छतरपुर जिले के बड़ामलहरा ब्लॉक अंतर्गत ग्राम सड़वा में स्थित प्राचीन जलाशय की सफाई का अभियान चलाया गया।

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amritam jalam

जलाशय की सफाई करते हुए

जल ही जीवन है के संदेश को आत्मसात करते हुए पत्रिका के अमृतं जलम् अभियान और शासन के जल गंगा संवर्धन अभियान के संयुक्त तत्वावधान में छतरपुर जिले के बड़ामलहरा ब्लॉक अंतर्गत ग्राम सड़वा में स्थित प्राचीन जलाशय की सफाई का अभियान चलाया गया। इस अभियान में दर्जनों स्वयंसेवकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और चार घंटे के श्रमदान से जलाशय को कचरा और काई से पूरी तरह मुक्त कर दिया।

कुणी धाम का जलाशय हुआ साफ


इस आयोजन के तहत सडवा सेक्टर में जल गंगा जल संवर्धन कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें कुणीधाम धार्मिक स्थल पर स्थित पुराने कुंड और जलाशयों की सफाई की गई। जलाशयों में वर्षों से जमा काई और कचरे को हटाने के लिए स्वयंसेवकों ने एकजुट होकर श्रमदान किया, जिससे जलाशय की जलधारण क्षमता और स्वच्छता दोनों में सुधार हुआ।इस कार्यक्रम में जिला समन्वयक आशीष ताम्रकार और आशीष तिवारी विशेष रूप से उपस्थित रहे। उनके मार्गदर्शन में ब्लॉक समन्वयक अनुपमा नायक के संचालन में पूरे कार्यक्रम को सुव्यवस्थित रूप से संपन्न किया गया। साथ ही ब्लॉक के सभी मेंटर्स और नवांकुर संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने भी सक्रिय भागीदारी की।

जलसरंक्षण को लेकर संगोष्ठी का भी हुआ आयोजन


कार्यक्रम के बाद एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें जल संरक्षण और दैनिक जीवन में पानी के महत्व पर विचार-विमर्श हुआ। वक्ताओं ने अपने अनुभव और विचार साझा करते हुए कहा कि जल की हर बूंद अनमोल है और हमें अपने जीवन में जल बचाने के छोटे-छोटे उपायों को अपनाकर बड़ा बदलाव लाना होगा। संगोष्ठी में भाग लेने वालों ने एक स्वर में यह संकल्प लिया कि वे अपने गांव और मोहल्ले में जल स्त्रोतों की सफाई, संरक्षण और संवर्धन की दिशा में सक्रिय भूमिका निभाएंगे। कार्यक्रम का समापन बिन पानी सब सून जैसे प्रभावशाली स्लोगन के साथ किया गया, जो जल बचाने के संदेश को लोगों के दिलों तक पहुंचाने में सहायक बना। यह अभियान न सिर्फ एक जलाशय की सफाई था, बल्कि यह एक संदेश भी था, कि यदि हम सभी मिलकर थोड़ा-थोड़ा प्रयास करें, तो जल संरक्षण की दिशा में बड़े बदलाव संभव हैं।