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सड़कों के निर्माण और बड़े प्रोजेक्ट लेटलतीफी में अटके, गुणवत्ता पर भी नहीं दे रहे ध्यान

- लवकुशनगर, बिजावर, चंद्रनगर सहित जिला मुख्यालय से जुडऩे वाली सड़कों के निर्माण में हो रही लापरवाही

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Negligence in the construction of roads linked to District headquarter including Lavukhnagar, Bijawar, Chandanagar

Chhatarpur

नीरज सोनी
छतरपुर। जिले में सड़कों के निर्माण में लेटलतीफी, लापरवाही और उदासीनता सामने आ रही है। लोग अच्छी सड़क पर चलने का सपना संजोए केवल इंतजार कर रहे हैं। बदले में वे हर दिन जाम, सड़क हादसों और परेशानी से जूझने मजबूर है। प्रदेश में सरकार बदल जाने के बाद भी लोगों को सड़कों के हालात बदलने के लिए अभी इंतजार ही करना होगा। योजना के तहत यातायात के दबाव के कारण वैकल्पिक रास्ते बनाए जाते हैं। लवकुशनगर और चंदला जैसे नगरों में यातायात का बहुत दबाव है। मुख्य सड़कें अधिक चौड़ी न होने के कारण अक्सर जाम की स्थिति निर्मित होती है। लेकिन यहां के लिए स्वीकृत हुआ बाइपास मार्ग का काम आज तक पूरा नहीं हो पाया। वहीं बमीठा-चंद्रनगर से गुजरा रीवा-ग्वालियर हाइवे बदहाल स्थिति में है। दूसरी तरफ जो सड़कें बनाई जा रही हैं, उनकी स्थिति भी खराब है। कुल मिलाकर सड़कों की गुणवत्ता के मामले और जनता की परेशानियों से किसी को सरोकार नहीं है। नए विधायकों से लोगों ने उम्मीद जताई है और वे भी व्यवस्था को ठीक करने की बात कह रहे हैं।
अधर में लटका रह गया बाइपास मार्ग का निर्माण :
लवकुशनगर और चंदला की लगभग एक जैसी स्थिति होने के कारण तत्कालीन भाजपा सरकार ने 2015 में लवकुशनगर और चंदला के लिए बाइपास मार्ग स्वीकृत किया था लेकिन बाइपास निर्माण में आने वाली किसानों की जमीन के बदले किसानों को मुआवजा नहीं मिला इसलिए ये दोनों बाइपास अधर में लटक गए हैं। सरकार बदलने के बाद लोगों ने फिर से इसलिए उम्मीद जताई है क्योंकि लवकुशनगर सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस के विधायक का क्षेत्र है। साढ़े 3 साल पहले 20 जुलाई 2015 को लवकुशनगर व चंदला के लिए बाइपास मार्ग बनाने की स्वीकृति दी गई थी। 10 किलोमीटर लंबा लवकुशनगर और 9 किलोमीटर लंबा चंदला के लिए बाइपास बनाया जाना था। इस बाइपास में जिन किसानों की जमीन जा रही थी उसका मुआवजा भी दोनों बाइपासों को मिलाकर 28 करोड़ रुपए था। हालांकि आज के हालातों में यह राशि इससे कहीं ज्यादा हो रही है। 19 किलोमीटर के मार्गों को बनाने में करीब 30 करोड़ रुपए खर्च होने थे। 1 साल पहले मुआवजा राशि तय की गई लेकिन लोक निर्माण विभाग ने राजस्व विभाग को मुआवजा राशि नहीं दी, इसलिए आगे की प्रक्रिया नहीं हो सकी। लंबे समय से बाइपास मार्ग की मांग करने वाले लोगों के अरमान धुल गए हैं। लवकुशनगर के लोगों को शायद अब उम्मीद हो सकती है। क्योंकि उनका विधायक सत्ता पक्ष का है इसलिए वे अपने क्षेत्र को यह सौगात दे सकते हैं।
अब नई सरकार के पास जाएगा नया प्रस्ताव :
लोक निर्माण विभाग के सूत्रों का कहना है कि तत्कालीन भाजपा सरकार द्वारा चंदला और लवकुशनगर के लिए बाइपास तो स्वीकृत किया गया था लेकिन किसानों को मुआवजा न दिए जाने की वजह से न तो जमीनों का अधिग्रहण हुआ और न ही बाइपास के लिए काम शुरु हुआ। सरकार बदलने से काम के तौर तरीके बदल गए हैं। अब नई सरकार के पास दोनों बाईपास के लिए फिर से प्रस्ताव भेजे जाएंगे। सरकार यदि राशि स्वीकृत करेगी तो निर्माण कार्य शुरु हो जाएंगे। सूत्र यह भी बता रहे हैं कि लोक निर्माण विभाग की मंशा है कि मुआवजा कम से कम दिया जा सके ऐसे उपाय तैयार किए जाएं। क्योंकि जितनी राशि निर्माण कार्य में खर्च होती है उससे कही ज्यादा राशि मुआवजे में चली जाती है।
चंद्रनगर क्षेत्र में एक घंटे का सफर पूरा हो रहा २ घंटे में:
राजनगर विधानसभा क्षेत्र के ही तहसील के ग्राम चंद्रनगर से गुजरे रीवा-ग्वालियर नेशनल हाइवे पर यदि बमीठा से पन्ना तक का सफर करना है तो दो घंटे तक गड्ढों में घूमकर जाना पड़ेगा। यूं तो इस मार्ग के हालात जर्जर होने के कारण राह गीरो को अपने वाहनों से दो घंटे तक लग रहे हैं। इस मार्ग के निर्माण कार्य में चार ठेकेदार बदल दिए गए, लेकिन नेशनल हाइवे की दयनीय हालत होने के कारण आए दिन हादसे हो रहे हैं। जिला मुख्याजय से गुजरे रीवा- ग्वालियर नेशनल हाइवे पर स्थित ग्राम बमीठा और चंद्रनगर से लेकर पन्ना जिले के ग्राम मंडला की दूरी लगभग ३५ किमी है। इस मार्ग पर जगह-जगह गड्ढों के कारण वाहन चलाने में चालकों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। दिन में बड़ी धीमी गति से गड्ढों को बचाने के प्रयास में वाहन चलाते वक्त चालकों को एक घंटे के सफर में दो घंटे का समय लग रहा है। दिन में तो ठीक रात के वक्त इस मार्ग से निकलनेे में अक्सर धोखा होता है। दरअसल, कई स्थानों पर मार्ग काफी सरपट है, लेकिन जब वाहन स्पीड में चलते है तो अचानक ही गड्ढे आ जाते हैं या फिर वाहनों में टूटफूट होती है। क्षेक्षीय ग्रामीणों ने जिले के जन प्रतिनिधियों और जिम्मेदार विभागों से सड़क के सुधार की मांग उठाई लेकिन सुधार कार्य संभव नहीं हो पाया। करीब डेढ़ वर्ष पहले तत्कालीन मुख्यमंत्री के ग्राम पंचायत सूरजपुरा दौरे पर आए थे। मुख्यमंत्री के दोरे की भनक लगते ही जिम्मेदार विभाग ने जल्द ही सड़क निर्माण कार्य को पूरा करने का प्रयास किया और तेजी से काम शुरू किया गया। सड़क का निर्माण कार्य पूरा किया गया। तो वही रास्तों में पडऩे वाले पुल, पुलियों को भी बनाया गया। पुल और पुलियों का निर्माण कैसा हुआ, इसके परिणाम तो आगामी बारिस के मौसम में आएगे लेकिन आनन फानन में हुए सड़क निर्माण कार्य की हकीकत अभी सामने आ गई है।
दो साल पहले हुआ था निर्माण:
रीवा- ग्वालियर नेशनल हाइवे पर स्थित ग्राम पंचायत बमीठा से चंद्रनगर और पन्ना जिले के मड़ला तक की सड़क का निर्माण लगभग दो वर्ष पहले किया था। इस निर्माण कार्य का ठेका जिस कंपनी को दिया गया उसने इस कार्य को पेटी ठेके पर दिया, लेकिन जब पेटी ठेकेदार भी काम नहीं कर सका तो एक अन्य ठेकेदार से सड़क निर्माण कार्य की लीपापोती कर दी गई। एक ही मार्ग का ठेका कई हाथो में पहुंचने के कारण रोड भी आनन फानन में डाल दिया गया जिसकी दुर्गति महज दो साल में ही सामने आ गई।
इनका कहना
अभी मेरी इस संबंध में किसी से बात नहीं हुई है। जैसे ही कोई बात होगी, मैं बताऊंगा। बाइपास मार्ग के लिए प्रयास करना मेरी जिम्मेदारी है, जिसे मैं पूरी प्राथमिकता से करुंगा। वहीं अपने क्षेत्र की सड़कों को बेहतर करने के लिए भी काम करुंगा।
- विक्रम सिंह नाती राजा, विधायक, राजनगर
४ किमी की सड़क पर डाला घटिया मटेरियल, उखडऩे लगा डामर
छतरपुर। बिजावर में लोक निर्माण विभाग घटिया सड़कों के निर्माण को लेकर हमेशा से चर्चाओं में रहा है। इस बार विभाग के ठेकेदार ने नगर में करीब चार किमी पुरानी सड़क पर डामरीकरण करके नई, लेकिन घटिया सड़क बना दी है। नई सड़क बनाने के दो दिन बाद ही सड़क खस्ता हाल हाना सुरू हो गई है यहां तक की छुते ही डामर उखड़ रही है।
बिजावर कस्बे में मुख्य मार्ग डाकघर चौराहे से करीब चार किमी लंबी सड़क का जाल बिछा हुआ है। कुछ सालों पहले मानकों का पूरी तरह से पालन सही सामग्री के उपयोग से नगर में पक्की सड़कों का निर्माण किया गया था। समय बीतने के बाद कुछ स्थानों पर सड़क खराब होने लगी। ऐसे में लोक निर्माण विभाग के द्वारा नगर की सड़कों के निर्माण का वर्क आर्डर पास करके काम शुरू करा दिया गया। यह काम विभाग के एसडीओ की देख रेख में और एक ठेकेदार द्वारा किया जा रहा है। इस ठेकेदार ने कम खर्च से अधिक कमाई के चक्कर में सड़क निर्माण में गुणवत्ता से जमकर खिलवाड़ किया है। पुरानी सड़क जो कफी पक्की थी उसे साफ किए बिना रातोंरात उसके ऊपर ही नई सड़क के नाम पर डामरीकरण करा दिया गया। तमराई मुहल्ला में बनाई गई नई सड़क का डामर हाथ लगाते ही उधड ऱहा है। इस घटिया काम के मामले में लोकनिर्माण विभाग के स्थानीय वरिष्ठ अधिकारियों ने मौन साध लिया है। विभाग के बिजावर में पदस्थ एसडीओ आशीष भारती का कहना है कि निर्माण कार्य में गुणवत्ता का ख्याल यदि ठेकेदार नहीं रखेगा तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
उखडऩे लगा मातगुवां-बिजावर मार्ग:
कुछ माह पहले लोक निर्माण कार्य के एसडीओ के निर्देशन में मातगुवंा से बिजावर तक मार्ग का निर्माण किया गया था। इस निर्माण कार्य में भी मानकों का ध्यान नहीं रखा गया और घटिया सामग्री का उपयोग करके सड़कों पर सिर्फ डामर का लेप कर दिया गया। इस कार्य में भी लोगो ने शुरू में विरोध जताते हुए वरिष्ट अधिकारियों से जांच व कार्रवाई की जांच की थी, लेकिन बड़े अधिकारी भी मौन रहे। इस तरह से इस घटिया सड़क के निर्माण में लाखों रुपए का बजट बर्बाद कर दिया गया। चार पांच माह में ही बिजावर मातगुवां मार्ग पर नई सड़क का निर्माण जगह-जगह से छतिग्रस्त हो गया है। सड़क पर बने गड्ढे विभाग की कार्यशैली की पोल खोल रहे हैं।
अब लापरवाही नहीं चल पाएगी :
पहले सड़कों के निर्माण में कुछ भी मनमानी चलती रही हो, लेकिन अब जनहित से जुड़े विकास कार्यों में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सड़कों की गुणवत्ता से कोई समझौता नहीं होगा। सड़कों में लापरवाही हुई है तो संबंधितों को गंभीर परिणाम भुगतने पड़ेंगे।
- राजेश शुक्ला बबलू, विधायक बिजावर