जब रानी ने पृथ्वीराज को ललकारा :
5200 डोलों के बीच जब रानी मल्हना और राजकुमारी चंद्रावलि कजरियां भुजरियां कीरत सागर के तट पर विसर्जित करने जा रही थीं, तभी पृथ्वीराज चौहान की सेना ने चंद्रवलि का डोल उठा लिया था। रानी मल्हना डोले से निकलकर हाथी पर चढ़ गई और पृथ्वीराज चौहान को ललकार दिया। ललकार सुनते ही 5200 डोलों से नारियां तलवार लेकर युद्ध के लिए निकल पड़ी थीं।
कीरत सागर तट पर शुक्रवार से एक सप्ताह चलेगा मेला :
महोबा का ऐतिहासिक कजली मेला शुक्रवार से कीरत सागर के तटबंध पर लगेगा। पहले दिन कजली मेला कीरत सागर के तटबंध पर दूसरे दिन कजली मेला गोरखनाथ महाराज की तपोस्थलि गोरखगिरी व तीसरे दिन शहीद स्थल हवेली दरवाजा मैदान में लगेगा। शुक्रवार को दोपहर २ बजे शहर के हवेली दरवाजा मैदान से कीरत सागर तटबंध तक जाने वाली शोभायात्रा को जिलाधिकारी (कलेक्टर) द्वारा हरी झंडी दिखाकर रवाना करेंगे। यह शोभायात्रा शहर में भ्रमण करते हुए कीरत सागर पहुंचेगी। जहां कीरत सागर सरोवर के पानी में कजरियां व भुजरियों का विसर्जन किया जाएगा।
एक दिन बाद मनाया जाता है रक्षाबंधन का पर्व :
महोबा जिले की ऐतिहासिक गाथा का वर्णन देश विदेश में प्रसिद्ध है, 52 गढ़ जीतने वाले यहां के वीरों का साम्राज्य छीनने की चेष्टा रखने वाले दिल्ली नरेश को पराजय का सामना करना पड़ा था। रक्षाबंधन के दिन कीरत सागर तट पर दिल्ली नरेश पृथ्वीराज चौहान व वीर आल्हा उदल की दोनों सेनाओ के बीच युद्ध हुआ था। जिसके चलते प्राचीन समय से यहां दूसरे दिन कजली विसर्जन के साथ पर्व मनाने की परंपरा चली आ रही है। जबकि पूरे देश मे एक दिन पूर्व रक्षा बंधन का पर्व मनाया जाता है।
बड़े लड़इया महोबा वाले, जिनसे हार गई तलवार
पानीदार यहां का पानी, आग यहां के पानी में
गढ़ महुबे के आल्हा उदल, जिनकी मार सही न जाय