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पं.धीरेंद्र शास्त्री का बड़ा फैसला, अब हर महीने 3 दिन जंगल में करेंगे कथा

बागेश्वर धाम की तरफ से भंडारा होगा, धाम की तरफ से ही टैंट लगेगा और कथा भी होगी, पूरा खर्चा बागेश्वर धाम की तरफ से होगा और व्यवस्था भी बागेश्वर धाम का शिष्य मंडल देखेगा।

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पं.धीरेंद्र शास्त्री का बड़ा फैसला, अब हर महीने 3 दिन जंगल में करेंगे कथा

पं.धीरेंद्र शास्त्री का बड़ा फैसला, अब हर महीने 3 दिन जंगल में करेंगे कथा

छतरपुर. बागेश्वर धाम प्रमुख पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने बड़ा फैसला लिया है, उन्होंने खुले मंच से कहा कि अब हम हर महीने तीन दिन जंगल में जाकर कथा करेंगे, वहीं भी बिल्कुल फ्री, हम खुद ही बागेश्वर धाम की तरफ से कथा करेंगे, पांडाल लगवाएंगे, भंडरा करवाएंगे और पूरा खर्चा उठाएंगे। क्योंकि जो आदिवासी और वनवासी कथा में नहीं आ पाते हैं, हम उन्हें वहीं जाकर कथा सुनाएंगे, उन्होंने साफ कहा कि हवाई जहाज और फॉच्र्यूनर से धर्म बचने वाला नहीं है।

हमने संकल्प लिया है कि हम जंगल में जाकर वन में रहने वाले आदिवासी वनवासी को कथा सुनाएंगे, क्योंकि वे कथा में आ नहीं पाते, कोई बड़ा कथा व्यास उन तक पहुंच नहीं पाता, क्योंकि वे दक्षिणा नहीं दे पाते, इसलिए अब हर महीने में 3 दिन धाम की तरफ से भंडारा, धाम की तरफ से कथा और धाम की तरफ से टैंट, पूरा खर्चा धाम की तरफ से होगा, क्योंकि अगला टारगेट सनातन आदिवासियों के ऊपर है, हमें पता है हवाई जहाज और फॉच्र्यूनर से धर्म बचने वाला नहीं है। इसलिए आदिवासियों के बीच जाकर उन्हें कथा सुनाएंगे।

उन्होंने छतरपुर जिले के पटेरी गांव में पहली कथा की शुरुआत कर दी है, उन्होंने कहा कि हम वन में इसलिए कथा करने जा रहे हैं क्योंकि रामजी वन गए इसलिए बन गए, रामजी 14 वर्ष के लिए वन गए, इसलिए तो राम भगवान बन गए, इसलिए तो हम उनकी कथा सुनाने के लिए वन जाएंगे।

फ्री में कथा करेंगे पंडित धीरेंद्र शास्त्री
उन्होंने कहा कि यहां केसली गांव है, जहां 15-20 हजार आदिवासी है, वहां भी एक कथा करेंगे, हम उनसे कुछ नहीं लेंगे, उन्होंने कहा कि हम 5 साल में 60 कथा करेंगे पूरे देश में फ्री करेंगे, हम खुद ही टैंट लगवाएंगे, पूरा खर्च हम ही करेंगे। किसी राजनीतिक मुद्दे को लेकर नहीं बल्कि उस कथा में कोई नेता आरती नहीं करेगा, उसमें आदिवासी ही आरती करेगा, उस आयोजन में हमारा बागेश्वर धाम का शिष्य मंडल और जजमान होगा और हम खर्चा करेंगे, हम आदिवासी वनवासी को कथा सुनाने जा रहे हैं। ये हमने तय कर लिया है।

पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री ने कहा सच में उन्हें जरूरत है, तुम लोग तो शहर में रहते हैं, तुम कहीं भी चले जाते हो कथा सुनने, हम नहीं तो कहीं और, लेकिन वे कहां जा पाते हैं, आते भी है तो मंच तक नहीं पहुंच पाते हैं, उन्हें भी एक कमी खलती है काश हम भी बड़े आदमी होते तो मंच पर होते, हमने सोचा अब उन्हें भी मंच पर बैठाएंगे, इन कथाओं में आप भी पहुंच सकते हैं, दरबार भी लगेगा, यहां जंगल में रहने वालों की अर्जी लगेगी, हम चाहते ही कि ये जानकारी उन तक पहुंचे और उन्हें कथा सुनाएंगे, तो उन्हें भी लगेगा कि हम भी इंसान हैं।