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भोपाल-लखनऊ इकोनॉमिक कॉरिडोर: सांठिया घाटी से कैमाहा चेकपोस्ट तक फोरलेन सडक़ का निर्माण शुरू

यह महत्वाकांक्षी परियोजना क्षेत्र में तेज यातायात, औद्योगिक विकास, पर्यटन विस्तार और निवेश को नई दिशा देने वाली मानी जा रही है। सडक़ का निर्माण कुल चार चरणों में किया जा रहा है

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फोरलेन निर्माण के लिए सडक़ चौड़ीकरण का काम जारी

मध्य प्रदेश से उत्तर प्रदेश को जोडऩे वाले भोपाल-लखनऊ इकोनॉमिक कॉरिडोर के तहत फोरलेन सडक़ निर्माण कार्य ने गति पकड़ ली है। यह महत्वाकांक्षी परियोजना क्षेत्र में तेज यातायात, औद्योगिक विकास, पर्यटन विस्तार और निवेश को नई दिशा देने वाली मानी जा रही है। सडक़ का निर्माण कुल चार चरणों में किया जा रहा है, जिनमें से जिले की सीमा में दो चरणों तीसरे व चौथे चरण में कार्य आगे बढ़ रहा है।

सांठिया घाटी से चौका गांव और फिर चौका से कैमाहा चेकपोस्ट तक काम शुरू


एनएचएआई द्वारा तीसरे और चौथे चरण में चौका गांव से कैमाहा चेकपोस्ट तक करीब 98 किलोमीटर लंबे फोरलेन निर्माण का काम प्रारंभ कर दिया गया है। जिन स्थानों पर भूमि अधिग्रहण और मुआवजा वितरण पूरा हो गया है, वहां मशीनें लगाकर तेजी से सडक़ चौड़ीकरण किया जा रहा है।

तीसरा चरण- 55 किलोमीटर में 1008 करोड़ की लागत


परियोजना के तीसरे चरण में 55 किमी सडक़ निर्माण पर 1008 करोड़ रुपये खर्च किए जा रहे हैं। यह हिस्सा क्षेत्र के कई गांवों और कस्बों को सीधे औद्योगिक कॉरिडोर से जोडऩे वाला महत्वपूर्ण मार्ग बनेगा। फोरलेन बनने के बाद भारी वाहनों की आवाजाही से जुड़ी समस्याएं समाप्त होंगी और सफर का समय भी घटेगा।

चौथा चरण- 43 किलोमीटर सडक़ पर 997 करोड़ की राशि स्वीकृत


चौथे चरण में 43 किमी फोरलेन सडक़ के निर्माण पर 997 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई है। यह हिस्सा उत्तर प्रदेश सीमा से कनेक्टिविटी को मजबूत बनाते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग नेटवर्क को और सुदृढ़ करेगा। सडक़ चौड़ीकरण के लिए आवश्यक भूमि का मुआवजा वितरण अधिकांश क्षेत्रों में पूरा हो चुका है, जबकि शेष स्थानों पर प्रक्रिया अंतिम चरण में है। जहां मुआवजा मिल चुका है, वहां एनएचएआई ने अधिग्रहित जमीन पर कब्जा लेकर निर्माण कार्य शुरू कर दिया है। किसानों को पारदर्शी और उचित मुआवजा देने की प्रक्रिया पर जिला प्रशासन भी निगरानी बनाए हुए है।

महाराजपुर, छतरपुर, बिजावर और बड़ामलहरा के 57 गांवों की ज़मीन का अधिग्रहण किया गया है। इसे बाद में सीधे लखनऊ से जोडकर एक आर्थिक कॉरिडोर बनाने की योजना है। इससे बुंदेलखंड के लोगों को न केवल बेहतर कनेक्टिविटी मिलेगी, बल्कि व्यावसायिक गतिविधियों में भी बढ़ोतरी होगी, जो क्षेत्र की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करेगा।

पेड़ों की बड़े पैमाने पर कटाई

पर्यावरणीय चिंता भी बढ़ीसडक़ के दोनों किनारों पर मौजूद हजारों पेड़ों की कटाई की जा रही है। पर्यावरण प्रेमियों ने चिंता जताई है कि इससे क्षेत्र में हरित आवरण प्रभावित होगा। हालांकि एनएचएआई ने आश्वासन दिया है कि हर कटे पेड़ की जगह नियमानुसार नए पौधे लगाए जाएंगे।क्षेत्र के लिए बड़ी सौगातइकोनॉमिक कॉरिडोर के फोरलेन बन जाने के बाद क्षेत्र में

- यातायात सुगम होगा- पर्यटन विशेषकर खजुराहो आगमन बढ़ेगा

- स्थानीय व्यापार को नए अवसर मिलेंगे- भूमि मूल्य में बढ़ोतरी की संभावना

- रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे


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