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तिरंगा केस में उमा भारती के इस्तीफा के बाद पहली बार बड़ामलहरा में हुआ उपचुनाव

बड़ामलहरा से सीएम उम्मीदवार के रुप में उमा भारती ने लड़ा था वर्ष 2003 का चुनाव2006 में हुए उपचुनाव में सीपीआइ के विधायक रहे कपूरचंद्र घुवारा भाजपा के टिकट से जीते

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badamalahar election

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छतरपुर। विधानसभा सीट बड़ामलहरा में अबतक 14 बार आम चुनाव और एक बार एक बार उपचुनाव हो चुके हैं। इस बार बड़ामलहरा सीट पर दूसरी बार उपचुनाव होने जा रहे हैं। पहली बार वर्ष 2006 में बड़ामलहरा विधानसभा सीट से उपचुनाव हुए थे, जब वर्ष 2003 में 10 साल पुरानी दिग्विजय सिंह की कांग्रेस सरकार को गिराने के लिए उमा भारती को बड़ामलहरा सीट से मुख्यमंत्री के चेहरे के रुप में चुनाव मैदान में उतारा गया था। उमा भारती मुख्यमंत्री चुनी गई, लेकिन तिंरगा यात्रा मामले में 21 अगस्त 2004 को इस्तीफा देने के बाद बड़ामलहरा सीट पर 2006 में उपचुनाव हुए, जिसमें वर्ष 1980 में सीपीआइ से बड़ामलहरा विधायक रहे कपूरचंद्र घुवारा भाजपा के टिकट पर विधायक चुने गए। वहीं, वर्ष 2018 में कांग्रेस से विधायक चुने गए प्रद्युमन लोधी के दलबदल के कारण दूसरी बार बड़ामलहरा सीट पर उपचुनाव हो रहे हैं।

उमा ने बनाई भारतीय जनशक्ति पार्टी
उमा को वर्ष 2005 में भारतीय जनता पार्टी ने निष्कासित कर दिया गया था, उनके ख़िलाफ़ अनुशासनहीनता के आरोप में यह कार्रवाई की गई थी। तिरंगा यात्रा मामला सुलझने के बाद मध्यप्रदेश में वापसी की राह देख रही उमा भारती मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री परिवर्तन के पार्टी के फैसले से उमा भारती नाराज हो गईं। उन्होंने भोपाल में विधायक दल की बैठक का बहिष्कार किया था और उनके समर्थकों ने पार्टी कार्यालय के बाहर तोडफ़ोड़ की थी। इधर केन्द्रीय संसदीय बोर्ड की बैठक में आड़वाणी से भी उमा उलझ गई और फिर केदारनाथ यात्रा चली गई। वहीं से लौटी तो उमा भारती ने वर्ष 200६ में भारतीय जनशक्ति पार्टी बनाई। वर्ष 2008 में उमा भारती की पार्टी ने प्रदेश की 216 सीटों पर चुनाव लड़ा था लेकिन उसे महज पांच पर ही जीत मिली। ख़ुद उमा भारती टीकमगढ़ विधानसभा सीट से चुनाव हार गई। इसके बाद वर्ष 2011 में उमा भारती ने फिर से भाजपा में वापसी की और उत्तरप्रदेश में सक्रिय हो गईं।

बड़ामलहरा सीट पर उमा का रहा है प्रभाव
वर्ष 2008 के विधानसभा चुनाव में जहां भारतीय जनशक्ति पार्टी की अध्यक्ष उमा भारती भले ही खुद टीमकगढ़ से चुनाव हार गई, वहीं, दूसरी ओर उमा भारती के प्रभाव वाली पिछड़ा वर्ग बाहुल्य बड़ामलहरा सीट से उनकी पार्टी की उम्मीदवार रेखा यादव चुनाव जीत गई। रेखा यादव 28.64 प्रतिशत मत पाकर विजयी रही, वहीं कांग्रेस की मंजूला शील डेवडिया 21.94 प्रतिशत मत के साथ दूसरे और भाजपा के उम्मीदवार कपूर चंद्र घुवारा 15.43 प्रतिशत वोट के साथ तीसरे स्थान पर रहे। जबकि वर्ष 2006 में उमा के इस्तीफे के बाद हुए उपचुनाव में भाजपा के उम्मीदवार कपूरचंद्र घुवारा उमा के समर्थन के चलते चुनाव जीत गए थे। लेकिन 2008 के चुनाव में उमा की ओर से रेखा यादव उम्मीदवार थी, जिन्हें चुनाव में सफलता मिली।

पांच चुनाव से लगातार भाजपा के गढ़ में 2018 में कांग्रेस को मिली थी सफलता
वर्ष 1998 में लोधी वोट बैंक की मजबूत स्थिति को देखते हुए पहली बार उमा भारती के बड़े भाई स्वामी प्रसाद को बड़ामलहरा के चुनाव में उतारा गया था। जिसमें उन्हें जीत हासिल हुई। उसके बाद वर्ष 2003 में उमा भारती खुद इस सीट से भाजपा के उम्मीदवार के रुप में चुनाव लड़ी और प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी, फिर 2006 के उपचुनाव में भाजपा के कपूरचंद्र, 2018 में भाजश की रेखा यादव और 2013 में भाजपा के टिकट पर रेखा यादव विधायक चुनी गई। लेकिन वर्ष 2018 में कांग्रेस को एक वर्ष 1993 के बाद पहली बार सफलता मिली, जब कांग्रेस उम्मीदवार प्रद्युमन लोधी ने भाजपा प्रत्याशी ललिता यादव से जीत हासिल की। लेकिन उप चुनाव में प्रद्युमन भाजपा के टिकट से चुनाव लड़ रहे हैं, जबकि कांग्रेस से साध्वी रामसिया भारती चुनाव मैदान में है।