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मरने के पहले बेटियों व पुत्रों की जिंदगी संवारना चाहता है, लेकिन इस कारण नहीं कर पा रहा

युवक बोला: परिवार के दस सदस्यों की है जिम्मेदारी, काम न करने से परिवार का नहीं हो पा रहा भरण-पोषण

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Can not be Operation Required Family responsibility

Can not be Operation Required Family responsibility

छतरपुर. जब परिवार की जिम्मेदार आती है तो कोई भी हो अपना दर्द भूलकर परिवार की जिम्मेदारी संभालना चाहता है। लेकिन जब अपने ही शरीर पर वश न हो तो फिर अपने और परिवार का कैसे देखभाल करे। एक ऐसा ही मामला लवकुशनगर क्षेत्र के जनपद पंचायत का है। जहां एक अधेड़ युवक अपने इलाज के लिए दर-दर भटकने को मजबूर है। क्योंकि उसके ऊपर घर के दस सदस्यों की जिम्मेदारी है। जिसे वह मरने के पहले अपनी बेटियों व पुत्रों की जिंदगी सवारना चाहता है। लेकिन वह बीमार होने के कारण परिवार का भरण-पोषण नहीं कर पा रहा है। लवकुशनगर के महोबा मार्ग पर जनपद पंचायत कार्यलय के सामने कामगार जोकि सिल बट्टा बनाकर अपने परिबार का भरण पोषण कर रहा है। परिवार बड़ा होने के कारण वह दो साल से अपना इलाज नहीं करा पा रहा है। कल्लू प्रजापति ने बताया कि उसके पिछले डेढ़ साल से पेशाब में नली डली है और इसका ऑपरेशन होना है मगर आर्थिक तंगी के चलते इलाज नहीं करा पा रहा है। उसने बताया कि ऑपरेशन में खर्चा ज्यादा है। जिस कारण इलाज होना अंसभव है। वहीं राशन कार्ड भी नहीं है। राशन कार्ड बनवाने के लिए कई बार बनवाने का प्रयास किया गया। लेकिन राशन कार्ड नहीं बन पा रहा है। बीमारी के चलते उसे आने-जाने में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। उसने बताया कि मेरी 6 लड़की, दो लड़के है। दस लोगों का परिवार है। मेरे बच्चे भी मजदूरी करते है। वह मजदूरी करेंगे कि मेेरा इलाज करायेंगे। यदि वह काम नहीं करेंगे तो घर का भरण-पोषण कैसे होगा। कल्लू के पास न तो गरीबी रेखा का परमिट है नही आधार। कागजों की बात करे तो कल्लू के पास कोई कागजात नही है। किसी भी व्यक्ति ने इस बीमार व्यक्ति की कोई मदद नहीं की। क्या कल्लू के लिये कोई मशीहा बनकर नहीं आएगा। यदि उसका इलाज नहीं हुआ तो वह घुट-घुट कर मर जाएगा। जिससे एक और दाग प्रशासन व शासन पर लगा जाएगा। एक तरफ सरकार गरीबों के मसीहा होने का दावा कर रही है तो वहीं गरीब व राशन बनवाने के लिए लोगों को जिला मुख्यालय आकर काफी संघर्ष करना पड़ रहा है। फिर भी समय पर राशन न मिलने से गरीब जनता सरकारी योजनाओं का लाभ लेने से वंचित देखी जा रही है।