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रेड जोन में शामिल हुआ छतरपुर, कम बारिश से आधे भी नहीं भरे बांध

जिले के औसत से 12 इंच कम बारिश ने बढ़ाई मुसीबत, पिछले साल के औसत के बराबर भी नहीं हुई बारिशसिंचाई , खेती पर असर, पेयजल के लिए बोरवेल पर आश्रितों पर भी पड़ेगा असर  

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बारिश के असामान्य वितरण से बढ़ी मुश्किलें

बारिश के असामान्य वितरण से बढ़ी मुश्किलें

छतरपुर। सावन- भादों में बारिश कम होने से प्रदेश के 9 जिलों समेत छतरपुर जिला रेड जोन में आ गया है। जिले की औसत बारिश 42.3 इंच की तुलना में जिले में इस बार केवल 29.2 इंच बारिश हुई है, जो पिछले साल हुई औसत बारिश 32.3 इंच से 3.1 इंच कम है। जबकि 30 सिंतबर तक जिले में पिछले साल हुई 29.4 इंच बारिश का आंकड़ा भी इस साल पूरा नहीं हो पाया है। मानसून की बेरुखी के चलते जिले के बांध इस बार आधे भी नहीं भर पाए हैं, जिससे सिंचाई और बोरबेल के जरिए पीने के पानी पर आश्रित लोगों को परेशानी का सामान करना पड़ सकता है।

बारिश के असामान्य वितरण से बढ़ी मुश्किलें
जिले के 8 वर्षामापी केन्द्रों पर दर्ज अबतक की बारिश के आंकड़ो के मुताबिक इस मानसून सत्र में बड़ामलहरा में सबसे ज्यादा 38.7 इंच बारिश दर्ज की गई है। जबकि बिजावर में सबसे कम 22.6 इंच बारिश दर्ज की गई है। बारिश का वितरण इस बार असामान्य रहा है, बड़ामलहरा और बिजावर इलाके आसपास होने के वाबजूद दोनों जगह की बारिश में काफी अंतर है। वहीं, छतरपुर में 26.9 इंच बारिश, लवकुशनगर में 24.8 इंच, नौगांव में 34 इंच, राजनगर में 29.7 इंच बारिश दर्ज की गई है, हालांकि इस बार गौरिहार में बारिश का आंकड़ा बढ़ा है। गौरिहार क्षेत्र में इस बार 33 इंच बारिश दर्ज हुई है। जबकि बकस्वाहा इस बार भी कम बारिश से प्रभावित बना हुआ है, यहां केवल 23.9 इंच बारिश दर्ज हुई है।

बांधों में कम पानी का सिंचाई पर पड़ेगा असर
जिले में करीब 1 लाख हेक्टेयर भूमि की सिंचाई बांधों से की जाती है। लेकिन इस बार बारिश कम होने से बांध आधे भी नहीं भर पाए हैं, जिससे सिंचाई सुविधाओं पर इस साल असर पड़ रहा है। खूडऱ नदी पर बने बेनीगंज बांध में अब तक केवल 43 प्रतिशत जलभराव हो पाया है। वहीं, छतरपुर शहर को पेयजल उपलब्ध कराने वाले बूढ़ा बांध में इस साल 17 प्रतिशत जलभराव हुआ है। गोरा तालाब में इस बार मात्र केवल 9 फीसदी पानी ही जमा है। कुटनी डेम में इस बार भी ठीक-ठाक पानी जमा हुआ है, बांध अपनी क्षमता का 48 फीसदी भर गया है। जबकि बड़े बांधों में शामिल रनगुंवा में अभी तक 17 फीसदी जलभराव हो सका है। वहीं सिंहपुर में 28 फीसदी ही पानी जमा है। उर्मिल में 14 और तारपेड़ में 54 फीसदी जलभराव हो सका है।


फसलों में नुकसान से किसान चिंतित
इस बार कम बारिश के कारण फसलों को नुकसान होना शुरू हो गया है, जिससे किसान चिंतित हैं। पीला मोजिक रोग की चपेट में आकर खेतों में खड़ी उड़द, सोयाबीन और मूंगफली की फसल पीली पडऩे लगी हें। उड़द की फसल में कीड़ा लगने और पीला मोजिक रोग की चपेट में आने से उसमें फल नहीं लग सके हैं। फसल को रोग के प्रकोप से बचाने के लिए किसानों ने कीटनाशक का छिड़काव किया पर कोई प्रभाव नहीं दिखाई देने से किसानों ने मजबूरी में खराब फसलें जानवरों को खिलाना शुरु कर दिया है। रामटौरिया क्षेत्र के किसान रामदास लोधी, अमान राजपूत, मान लोधी, शिवराज लोधी और करन लोधी ने बताया कि घुवारा तहसील क्षेत्र में करीब 80 फीसदी फसल नष्ट होने वाली है। किसानों ने बताया गत वर्ष उड़द, तिल, सोयाबीन, मूंगफली और मूंग की फसल का बाजार में अच्छा भाव मिलने से उन्हें मुनाफा हुआ था, उन्हें इस वर्ष भी अच्छे मुनाफे की उम्मीद थी मगर मौसम की मार ने उनकी उम्मीद पर पानी फेर दिया है। अब मुनाफा तो दूर लागत भी नही निकलने वाली है।

फैक्ट फाइल
बांध जलभराव 2021 2020
बेनीगंज 43 प्रतिशत 49
बूढ़ा 17 प्रतिशत 46
गोरा तालाब 09 07
कुटनी 48 80
रनगुंवा 17 37
सिंहपुर 28 89
तारपेड़ 54 92
उर्मिल 14 16