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ढोल बजाते हुए झूमकर नाचे CM शिवराज, संस्कृतिक गांव आदिवर्त का किया लोकार्पण

- आदिवासी रंग में रंगे सीएम शिवराज- ढोल बजाते हुए आदिवासियों के साथ किया डांस- भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भी झूमते नजर आए- संस्कृतिक गांव आदिवर्त का किया लोकार्पण

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ढोल बजाते हुए झूमकर नाचे CM शिवराज, संस्कृतिक गांव आदिवर्त का किया लोकार्पण

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा बुधवार को खजुराहो के महाराजा छत्रसाल कन्वेंशन सेंटर पहुंचे। यहां मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जी-20 संस्कृति कार्यकारी समूह की पहली बैठक का उद्घाटन किया। सीएम ने यहां मध्य प्रदेश जनजातीय एवं लोककला राज्य संग्रहालय 'आदिवर्त' का लोकार्पण भी किया। इस दौरान मुख्यमंत्री एक बार फिर आदिवासी रंग में रंगे नजर आए। यहां उन्होंने ढोल बजाते हुए जमकर आदिवासी डांस भी किया।

आपको बता दें कि, आयोजन के साथ साथ ढोल की थाप पर कल्चरल डांस के दौरान केंद्रीय मंत्री किशन रेड्डी, केंद्रीय राज्य मंत्री मीनाक्षी लेखी, केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र कुमार, मंत्री ओमप्रकाश सखलेचा, सांसद विष्णुदत्त शर्मा समेत अनेक विशिष्टजन मौजूद थे।

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इन हस्तियों का हुआ सम्मान

सांस्कृतिक गांव आदिवर्त के पहले चरण में 7 जनजातियों के गांवों के परिदृश्य को शामिल किया है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने यहां सबसे पहले बड़ादेव और बूढ़ी दाई की प्रतिमा के सामने दीप प्रज्वलित किये। लोकार्पण कार्यक्रम में मुख्यमंत्री ने पद्म सम्मान से अलंकृत जनजातीय लोक कलाकारों और साहित्य व कला क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने वाली हस्तियों को सम्मानित भी किया।

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सीएम ने किया अवलोकन

मुख्यमंत्री ने आदिवर्त गांव की लोकार्पण पट्टिका का अनावरण भी किया। यहां उन्होंने लिखंदरा प्रदर्शनी, संग्रहालय और संगीत नृत्य दीर्घा का अवलोकन भी किया। जनजातीय वर्ग के आवासों में पहुंचकर उनके रहन सहन और संस्कृति का अवलोकन भी किया। उन्होंने चित्रकला दीर्घा का अवलोकन भी किया, जिसमें जनजातीय वर्ग की लोक कला को चित्रांकन के जरिए प्रदर्शित किया गया।

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सीएम ने सांस्कृतिक गांव आदिवर्त को सराहा

सीएम ने अगरिया जनजाति द्वारा लोहे से पत्थर बनाने की प्रक्रिया को भी देखा। मुख्यमंत्री समेत अन्य अतिथियों ने सांस्कृतिक गांव आदिवर्त की सराहना की। जनजातीय और लोक कला के संग्रहालय में प्रदेश की प्रमुख जनजातियों, क्रमशः गोंड, बैगा, भील, भारिया, कोरकू, कोल और सहरिया के साथ - साथ पांचों सांस्कृतिक जनपदों जिनमें बघेलखंड, बुंदेलखंड, मालवा, निमाड़ और चंबल जनपद के प्रतिनिधिक आवासों और जीवनउपयोगी वस्तुओं को बनाकर प्रदर्शित किया गया है।