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सहकारिता की जंबो टीमें ऑडिट के लिए पहुंची, बंद मिली सोसायटियां

- 47 सहकारिता निरीक्षक और अंकेक्षण अधिकारियों की 21 टीमों ने शुरू की जांच- पंडाल में बैठकर अपनी मांग पर अड़े रहे सहकारिता निरीक्षक

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Cooperative jumbo teams reached for audit, found off societies

Cooperative jumbo teams reached for audit, found off societies

छतरपुर। सहकारिता में हुए पौने दो करोड़ से अधिक के भ्रष्टाचार के मामले सहाकारिता की जंबो टीमों ने बुधवार से अपनी जांच शुरू कर दी है। हालांकि सोसायटियों के कर्मचारियों की हड़ताल चलने के कारण सभी जगह ताले लगे मिले। इस कारण पहले दिन सहाकारिता निरीक्षकों और अंकेक्षण अधिकारियों ने अपने प्रतिवेदन बनाकर संय़ुक्त आयुक्त सहकारिता सागर को अवगत करा दिया है। हड़ताल चलते तक यह टीम अपने स्तर पर जांच पड़ताल करेगी। हालांकि होली के अवकाश के बाद इस काम में तेजी आने का अनुमान है। उधर मप्र सहकारिता समिति कर्मचारी महासंघ के बैनर तले जिलेभर के सहकारिता कर्मचारियों ने अपनी एक मुख्य मांग नियमितीकरण को लेकर काम बंद हड़ताल शुरू कर रखी है। ऐसे में जांच कितनी प्रभावित होगी इस बारे में सहकारिता का दल खुद उलझन में है। हड़ताली कर्मचारियों का कहना है कि जब तक उनकी मांग पूरी नहीं हो जाती है तब तक वे त्योहार के समय भी अपना तंबू लगाकर बैठेंगे।
बुधवार को सागर संभाग के तीन जिलों के सहकारिता सहायक निरीक्षकों की ४७ सदस्ययी टीम के २१ दलों ने अपने-अपने क्षेत्र की सोसायटियों में जांच-पड़ताल का काम शुरू कर दिया है। यह जांच छह चरणों में चलना है। पहला चरण २८ फरवरी से ७ मार्च तक चलना है। इसके बाद दूसरा चरण ८ से १४ मार्च, तीसरा चरण १५ से २१ मार्च, छटवां चरण २२ से ३१ मार्च, सातवां चरण २ से ७ अप्रैल और आखिरी चरण 9 से 13 अप्रैल तक चलना है।
इन छह बिंदुओं पर होगी जांच :
सहकारिता घोटाले की जांच के लिए गठित जंबो टीम ने छह बिंदुओं पर हर सोसायटी की पड़ताल शुरू कर दी है। टीम इस बात की जांच करेगी कि भुगतान कैश में हुआ है तो उसका पूरा डिटेल निकाला जाएगा। वहीं सोसायटी के सदस्यों की जो ऋण सीमा बनाई गर्ठ है उसके अंदर ऋण दिया गया या फिर ज्यादा। सोसायटी बोर्ड ने जो लिमिट बनाई है उस हिसाब से कर्ज दिया गया या नहीं। ऋण के लिए बैंकों में जो दस्तावेज लगाए गए हैं उनका भी सत्यापन किया जाएगा। इसके अलावा कर्ज लेने वाले सदस्यों, किसानों का भौतिक सत्यापन भी किया जाएगा। समितियों के बचत बैंक खाते की जांच और ऑडिटिंग भी करना होगी।
यह हुआ था सहकारिता का घोटाला :
23 नवंबर 2017 को समिति प्रबंधकों की समीक्षा बैठक के दौरान बीरो समिति, डिकौली समिति व सेंदपा समिति में घोटाले का खुलासा सामने आया था। 11 दिसंबर 2017 को लेखापाल रामविशाल पटैरिया ने समिति में हुए घोटाले की लिस्ट महाप्रबंधक बाईके सिंह को सौंपी थी। बीरो समिति प्रबंधक भानू प्रताप अवस्थी ने साढ़े 5 करोड, डिकौली हरिओम अग्निहेत्री पर एक करोड़, सेंदपा जाहर सिंह पर एक करोड़ का घोटाला किए जाने के आरोप लगे थे। वीरों सोसायटी में डीडी बनवाकर खाद उठाने की जगह नगर रुपए निकालकर करीब डेढ़ करोड़ से ज्यादा रुपए निकाल लिए गए थे। जबकि लिमिट ३० लाख तक की होती है। इन लोगों ने लिमिट से ज्यादा शाखा प्रबध्ंाक ने किसानों के खाते में पैसे डाले थे। अभी तक ११ करोड़ रुपए का घोटाला सामने आया था। इस मामले चार लोगों को निलंबित किया गया है।