
ढड़ारी
जिले के सबसे बड़े प्रस्तावित औद्योगिक क्षेत्र ढड़ारी का भविष्य फिलहाल अधर में लटका हुआ है। सागर-छतरपुर हाइवे पर स्थित इस 72 एकड़ भूमि पर उद्योग विभाग द्वारा वर्षों पहले बड़े औद्योगिक हब की कल्पना की गई थी, लेकिन वर्तमान स्थिति यह है कि यह जमीन अब अतिक्रमण और अवैध गतिविधियों का केंद्र बन चुकी है। इस भूमि पर अवैध कब्जा जमाए 15 से अधिक लोगों ने न केवल खेती शुरू कर दी है, बल्कि कुछ ने पंचायत की मिलीभगत से तालाब खुदवा लिए हैं और निर्माण कार्य भी किया है।
वर्ष 2021-22 में तत्कालीन कलेक्टर द्वारा इस भूमि को औद्योगिक विकास के लिए अधिकृत किया गया था। सीमांकन के बाद यह जमीन उद्योग विभाग को सौंप दी गई और इसके विकास की जिम्मेदारी मध्यप्रदेश औद्योगिक विकास निगम (एमपीआईडीसी) को सौंपी गई। इसके बाद निगम ने केवल औपचारिकता निभाते हुए कुछ बोर्डिंग लगाई और एप्रोच रोड की मरम्मत करवाई। परंतु भूमि विकास, निर्माण कार्य या उद्यमियों को प्रोत्साहित करने जैसे ठोस कार्य नहीं किए गए। इस उदासीनता का फायदा अतिक्रमणकारियों ने उठाया। उन्होंने जमीन पर कब्जा कर खेतीबाड़ी शुरू कर दी, जबकि दो व्यक्तियों को पंचायत की ओर से खेत तालाब की मंजूरी भी मिल गई। खनन के चलते एक गहरी खाई बन चुकी है और इससे जिला रेशम केंद्र की एक दीवार भी क्षतिग्रस्त हो चुकी है।
यह जमीन पहले रेशम विभाग के अधीन थी, इसलिए इसका रिकॉर्ड अभी भी कृषि भूमि के रूप में दर्ज है। औद्योगिक क्षेत्र के रूप में इसके विकास के लिए भूमि का डायवर्सन आवश्यक है। इसके लिए टाउन एंड कंट्री प्लानिंग (टीएंडसीपी) कार्यालय में आवेदन किया गया है, लेकिन महीनों बाद भी प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ी है। जब तक डायवर्सन नहीं होगा, तब तक यहां निर्माण या उद्यमी आवंटन संभव नहीं है।
एमपीआईडीसी द्वारा ढड़ारी औद्योगिक क्षेत्र के लिए 35 करोड़ रुपए की योजना तैयार की गई है। इसमें सडक़ों का निर्माण, नालियों की व्यवस्था, पानी और बिजली की आपूर्ति जैसी मूलभूत सुविधाएं शामिल हैं। लेकिन डायवर्सन और अतिक्रमण जैसी प्रशासनिक और कानूनी अड़चनों के कारण इस योजना की शुरुआत तक नहीं हो सकी है। इसके चलते न केवल सरकारी निवेश रुका हुआ है, बल्कि जिले की औद्योगिक संभावनाएं भी पीछे छूट रही हैं।
एमपीआईडीसी सागर के महाप्रबंधक प्रमोद उपाध्याय ने कहा कि ढड़ारी औद्योगिक क्षेत्र की स्थिति पर गंभीरता से काम किया जा रहा है। अतिक्रमण के संबंध में ईई को निर्देश दिए गए हैं और विभागीय कार्रवाई जल्द की जाएगी। ईई एसके जैन ने भी बताया कि जमीन के डायवर्सन को लेकर टीएंडसीपी कार्यालय से लगातार संपर्क किया जा रहा है। अतिक्रमण की स्थिति की सटीक जानकारी के लिए सब इंजीनियर को मौके पर भेजा जाएगा।
अवैध खनन और कब्जों के चलते न केवल सरकारी जमीन पर नुकसान हो रहा है, बल्कि इससे उद्योग विभाग को भविष्य में भी कानूनी परेशानियां हो सकती हैं। यदि समय रहते अतिक्रमण नहीं रोका गया, तो यह भूमि विवादित हो सकती है और निवेशक इससे दूरी बना सकते हैं।
ढड़ारी जैसे महत्वपूर्ण औद्योगिक क्षेत्र का विकास न हो पाना न केवल सरकारी लापरवाही का प्रमाण है, बल्कि यह जिले के युवाओं के रोजगार और आर्थिक समृद्धि के अवसरों को भी सीमित करता है। आवश्यक है कि संबंधित विभाग, राजस्व प्रशासन, पंचायत और एमपीआईडीसी मिलकर जल्द से जल्द अतिक्रमण हटाएं, डायवर्सन की प्रक्रिया पूर्ण करें और आधारभूत विकास कार्य शुरू करें। तभी छतरपुर औद्योगिक दृष्टिकोण से एक नई दिशा में आगे बढ़ सकेगा।
Published on:
04 Jun 2025 10:53 am
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