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तापमान में वृद्धि से रबी फसलों में कीटों का प्रकोप, 30 प्रतिशत तक उत्पादन में गिरावट का खतरा

विशेष रूप से गेहूं में तंडवा, सरसों, मटर और चना की फसलों में माहू और इल्ली का प्रकोप बढ़ गया है, जिसके कारण इन फसलों में फूल गिरने लगे हैं और किसानों को भारी नुकसान हो रहा है।

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wheat crop

गेहूं की फसल

छतरपुर. जिले में हाल के दिनों में तापमान में वृद्धि ने रबी सीजन की प्रमुख फसलों पर असर डालना शुरू कर दिया है। विशेष रूप से गेहूं में तंडवा, सरसों, मटर और चना की फसलों में माहू और इल्ली का प्रकोप बढ़ गया है, जिसके कारण इन फसलों में फूल गिरने लगे हैं और किसानों को भारी नुकसान हो रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि इन कीटों के कारण आगामी दिनों में चना, मटर और सरसों का उत्पादन 30 प्रतिशत तक घट सकता है।

रबी सीजन की फसलें प्रभावित

जिले में इस रबी सीजन में किसानों ने 82 हजार हेक्टेयर में चना, 71 हजार 600 हेक्टेयर में सरसों और 23 हजार 300 हेक्टेयर में मटर की बोवनी की है। लेकिन, पिछले कुछ दिनों में दिन और रात के तापमान में असामान्य वृद्धि हुई है, जिससे इन फसलों में माहू और इल्ली ने आक्रमण शुरू कर दिया है। इस कारण इन फसलों में फूल गिरने लगे हैं, जिससे किसानों को फसल उत्पादन में भारी नुकसान हो रहा है।

माहू और इल्ली का प्रकोप


किसान रामकुमार पाठक ने बताया कि मिर्च, टमाटर, बैंगन और भिंडी जैसे सब्जी फसलों में भी माहू का प्रकोप बढ़ गया है। इससे सब्जियों के उत्पादन पर भी असर पड़ रहा है। इसके अलावा, महाराजपुर में माहू की इतनी अधिक संख्या हो गई है कि सुबह और शाम के समय सडक़ पर दोपहिया वाहन से चलना मुश्किल हो गया है। किसान शंभूदयाल रिछारिया ने बताया कि उन्होंने 20 एकड़ में चना की बोवनी की थी। हाल ही में बढ़े तापमान के कारण चने की फसल में इल्ली लग गई है और फसल के फूल गिरने लगे हैं। इसी तरह, हिसाबी लाल पटेल और श्यामलाल पटेल जैसे किसान भी सरसों की फसल में माहू के कारण फूल गिरने और फसल को नुकसान होने की समस्या से जूझ रहे हैं। किसान मथुराप्रसाद तिवारी और नरेश पाठक ने बताया कि चना की फसल में इल्ली का प्रकोप इतना बढ़ गया है कि कीटनाशक दवाओं का छिडक़ाव करने के बावजूद उनका असर नहीं हो रहा। इसके कारण फसल में लगातार इल्ली का प्रकोप बढ़ता जा रहा है।

नुकसान को कम करने के उपाय


कृषि विभाग के उप संचालक डॉ. केके वैद्य ने किसानों को सलाह दी है कि वे इमिडाक्लोप्रिड और प्रोफेनोफास जैसे कीटनाशकों का छिडक़ाव करें। सरसों की फसल में माहू से बचाव के लिए एक एकड़ जमीन में 100 एमएल इमिडाक्लोप्रिड का छिडक़ाव करें, जिसे 15 लीटर पानी में 7 से 10 एमएल डालकर छिडक़ाव किया जा सकता है। वहीं चना की फसल में इल्ली से बचाव के लिए एक एकड़ में 300 एमएल प्रोफेनोफास का छिडक़ाव करने की सलाह दी जा रही है।

गर्मी और माहू से बचाव के उपाय


नौगांव कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. कमलेश अहिरवार ने कहा कि तापमान में वृद्धि से रबी फसलों और सब्जियों में कीटों का प्रकोप बढऩे की संभावना है। इस दौरान सरसों में माहू, चना में इल्ली और गेहूं में तंडवा फैलने का खतरा बढ़ जाएगा। सब्जी फसलों में कोकड़ा बीमारी फैलने का भी खतरा है। इसके अलावा, डॉ. अहिरवार ने गेहूं में तंडवा से बचाव के लिए साफ पाउडर का छिडक़ाव करने की सलाह दी है। उन्होंने यह भी बताया कि सरसों को माहू से बचाने के लिए इमिडाक्लोप्रिड का छिडक़ाव करना चाहिए, जबकि चना को इल्ली से बचाने के लिए प्रोफेनोफास का छिडक़ाव किया जाना चाहिए।

टी आकार की लकडिय़ों का इस्तेमाल


कृषि विशेषज्ञों ने किसानों को खेतों में टी आकार की लकडयि़ों का इस्तेमाल करने की सलाह दी है। यह लकडिय़ां पक्षियों को बैठने के लिए सहारा देती हैं, जो माहू और इल्ली को खाकर इन फसलों को बचा सकती हैं। हालांकि, फसलों में फल आने के बाद इन लकडिय़ों को खेतों से हटा लेना चाहिए ताकि पक्षी फसलों को नुकसान न पहुंचाएं।