छतरपुर. शहर के कर्ई रिहायशी इलाकों में अभी तक लोगों को बांस बल्लियों के सहारे बिजली की लाइन ले जाकर अपने घरों का रोशन करना पड़ रहा है। इस समस्या को लेकर रहवासियों की ओर से दर्जनों बार बिजली कंपनी, कलक्टर और नगर पालिका में आवेदन कर चुके हैं। लेकिन इसके बाद भी यहां पर विद्युतीकरण नहीं हो सका है। जिससे लोग परेशान हैं। करीब आधे दशक से व्यवस्था ऐसी ही चली आ रही है। विभाग को इसकी भलीभांति जानकारी है।
शहर के बाहरी इलाकों में प्लॉटिंग होने के बाद लोगों ने मकान बना दिए और धीरे-धीरे बड़ी संख्या में मकान बनकर तैयार हो गए। मकान बनने से लोग यहां पर रहने लगे। लेकिन रोड नाली नहीं होने से लोगों का काम चल जाता है, पर बिजली नहीं होने से लोगों का जीवन प्रभावित होता है। वहीं ऐसे इलाकों में बिजली लाइन नहीं होने से लोग परेशान हो रहे हैं। इस समस्या से परेशान लोग आसपास के १-२ किलोमीटर दूर से निकली बिजली के लाइन से बांस व बल्लियों के सहारे घर तक बिजली ला रहे हैं।छतरपुर शहर में दर्जन भर से अधिक ऐसे इलाके हैं जहां पर रहवास होने के बाद भी बिजली कंपनी की ओर से विद्युतीकरण नहीं किया जा सका है।
शहर के सटई रोड श्यामा नगर कॉलोनी, छुई खदान, मंड़ी के पीछे व मंदिर के आसपास के क्षेत्र, देरी रोड स्थित महर्षि स्कूल के सामने व पीछे, सौैरा रोड इलाके, नारायाणपुरा रोड में स्थित इलाके में बिजली की लाइन नहीं होने से लोग १ किलोमीटर दूर तक तारों को बांस और बल्लियों के सहारे कॉलोनियों अपने-अपने घरों को रोशन करने को मजबूर हैं। यहां के रहने वाले देरी रोड के मन्नू, हरिया, राजेंद्र, सटई रोड निवासी रज्जू, प्यारेलाल आदि लोगों ने बताया कि उसके इलाके में बड़ी संख्या में घर हैं और कई वर्ष से हम लोग रह रहे हैं। लेकिन बिजली कंपनी की ओर से बिजली की लाइन नहीं डाली गई है। ऐसे में २-३ लोग मिलकर बांसों के सहारे घर तक तारों को ला रहे हैं। बताया कि बारिश या आंधी आने से तार या बल्लियां गिर जाते हैं, जिससे परेशानी होती है। वहीं इसी तरह शिवनगर के पीछे, पठापुर रोड में बुंदेलखंड सिटी के पहले इलाके में लोगों को लम्बी दूरी तक बांस और बल्लियों के सहारे बिजली ले जानी पड़ रही है। इसी तरह के हाल शहर के कई और क्षेत्रों को है। जहां पर बिजली की लाइन नहीं होने से लोगों को परेशानी हो रही हैं और बांस बल्लियों के सहारे तारों को लेक जाकर घरों में उजाला कर रहे हैं।
दिए जाते हैं मीटर कनेक्शनबिजली कंपनी के नियमों के अनुसार पोल से कुछ ही दूरी में घर होने की स्थिति में ही मीटर कनेक्शन दिया जाता है। लेकिन शहर के ऐसे इलाकों में मीटर कलेक्शन दिए जा रहे हैं। लेकिन अधिकतर लोग बिना मीटर के ही बिजली का उपयोग कर रहे हैं जिससे बिजली कंपनी को घाटा लग रहा है।
तारों को पहचानना भी टेढ़ी खीर
शहर के इन इलाकों में जिस तरह से बांस के जरिए कनेक्शन खींचे गए हैं। वह किसी मकड़ी के जाले से कम नहीं है। ऐसे में कौन सा तार किस उपभोक्ता का है। यह पहचानना भी संभव नहीं है। यहां के लोगों की ही क्षमता कहा जा सकता है, जिससे कि खराबी आने पर अपना तार पहचान लेते हैं और खुद ही सही कर लेते हैं।
मानसून में खतरा दोगुनाबांस के सहारे खींचे गए तारों से मानसून के मौसम में खतरा दोगुना बढ़ जाता है। बांस भी बारिश से गीले रहते हैं। ऐसे में यदि कोई तार कटा तो बांस के जरिए करंट फैल सकता है। जिससे खतरा हो सकता है। जानकारी में रहते हुए यदि विभाग पिछले करीब ४ साल से हाथ पर हाथ धरे बैठा हुआ है।