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एक दशक बाद भी अपनी पहचान के लिए संघर्ष कर रहा नौगांव का इंजीनियरिंग कॉलेज

नौगांव का यह इंजीनियरिंग कॉलेज प्रदेश का इकलौता ब्लॉक स्तरीय कॉलेज होने के साथ-साथ पांच जिलों (पन्ना, निवाड़ी, छतरपुर, दमोह और टीकमगढ़) का एकमात्र शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज है लेकिन इस कॉलेज की दशा देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि नौगांव सहित उक्त जिलों को इंजीनियरिंग कॉलेज की सौगात सिर्फ नाम के लिए मिली है।

छतरपुरAug 11, 2024 / 11:04 am

Dharmendra Singh

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इंजीनियरिंग कॉलेज

छतरपुर. वर्ष 2013 में एक नए सपने के साथ शुरू हुआ नौगांव का इंजीनियरिंग कॉलेज आज भी अपनी पहचान बनाने के संघर्ष कर रहा है। करोड़ों का बजट और नया भवन होने के बावजूद इस कॉलेज की समस्याएं खत्म नहीं हो रही हैं। उल्लेखनीय है कि नौगांव का यह इंजीनियरिंग कॉलेज प्रदेश का इकलौता ब्लॉक स्तरीय कॉलेज होने के साथ-साथ पांच जिलों (पन्ना, निवाड़ी, छतरपुर, दमोह और टीकमगढ़) का एकमात्र शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज है लेकिन इस कॉलेज की दशा देखकर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि नौगांव सहित उक्त जिलों को इंजीनियरिंग कॉलेज की सौगात सिर्फ नाम के लिए मिली है।

2013 में मिली थी स्वीकृति


नौगांव में इंजीनियरिंग कॉलेज की नींव वर्ष 2013 में रखी गई थी, जिसमें चार शाखाएं (मैकेनिकल, सिविल, इलेक्ट्रिकल और इलेक्ट्रॉनिक्स) संचालित करने की स्वीकृति मिली थी। हालांकि उस वक्त कॉलेज के पास खुद का भवन नहीं था जिस कारण से कॉलेज का संचालन पॉलिटेक्निक कॉलेज के भवन में ही शुरू किया गया था। पहले वर्ष में यहां सिविल और मैकेनिकल शाखाएं शुरू हो सकीं थीं। करीब 6 साल बाद वर्ष 2019 में कॉलेज को 23 करोड़ का बजट मिला और नौरा पहाड़ी के पास कॉलेज का नया भवन तैयार हुआ, लेकिन नए भवन में केवल दो कक्षाओं के लिए ही स्थान दिया गया, जबकि चार कक्षाओं की स्वीकृति थी। इंजीनियरिंग कॉलेज के प्राचार्य वर्ष 2018 से पीआईयू को कई बार पत्र लिखकर बाकी दो कक्षाओं के लिए बजट बनाने की मांग कर रहे हैं लेकिन अभी तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। 11 साल पहले जिन दो कक्षाओं के साथ कॉलेज की शुरुआत हुई थी, आज भी यह कॉलेज उन्हीं दो कक्षाओं के साथ संचालित हो रहा है।

कॉलेज में व्याप्त हैं यह समस्याएं


नौगांव के इंजीनियरिंग कॉलेज के छात्र और छात्राओं के लिए जो हॉस्टल बनाया गया है वह अलग-अलग नहीं है और यहां सुरक्षा के मानकों का भी अभाव है। यह छात्रावास कॉलेज से करीब 1.5 किलोमीटर दूर होने के कारण, इसका सही उपयोग नहीं हो पा रहा है। इसके अलावा हॉस्टल में मूलभूत सुविधाएं तथा बाउंड्री वॉल भी नहीं है। इंजीनियरिंग कॉलेज में 7 स्थाई स्टाफ और 8 अस्थाई प्रोफेसर सहित मात्र 15 लोगों का स्टाफ कार्यरत है, जबकि शासन ने कॉलेज के लिए 125 पद स्वीकृत किए थे। यही सब कारण है कि करोड़ों रुपये खर्च होने के बावजूद कॉलेज में महज एक सैकड़ा विद्यार्थी ही अध्ययनरत हैं। इस साल पूरी जुलाई और आधा अगस्त बीत जाने के बाद कोई भी नया एडमिशन नहीं हुआ है।

इनका कहना है


यदि कंप्यूटर साइंस और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसी शाखाओं को बढ़ाया जाए तथा आवश्यक भवन उपलब्ध कराया जाए तो तो कॉलेज की स्थिति में सुधार हो सकता है।
एमएल वर्मा, प्राचार्य, इंजीनियरिंग कॉलेज, नौगांव

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