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गेहूं खरीदी के लिए पंजीयन में किसानों ने नहीं दिखाई रुचि

20 हजार किसानों ने कम कराया पंजीयन, खरीदी पर दिखेगा असर

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समितियों पर दर्ज हो एफआइआर

छतरपुर. गेहूं का रकवा बढ़ा, खरीदी का लक्ष्य बढ़ा, लेकिन इस बार किसानों की दिलचस्पी खरीदी को कम ही नजर आ रही हैं। जो खरीदी के लिए हुए पंजीयन में ही स्पष्ट हो गया हैं। बीते साल से 20 हजार कम किसानों ने इस बार गेहूं के लिए पंजीयन कराया गया हैं, जिसका असर खरीदी पर भी देखने मिलेगा।


जिले में गेहूं खरीदी शुरू होने के लिए अब उल्टी गिनती शुरू हो गई हैं। 25 मार्च से खरीदी शुरू होगी, इसके पहले खरीदी केंद्रों पर तैयारियां शुरू हो गई है। कुछ केंद्र तैयार भी हो चुके हैं। जबकि अधिकांश खरीदी केंद्रों पर अब तक कोई काम नहीं हो सका हैं। इस बार खरीदी केंद्रों पर पानी के साथ-साथ छांव की भी व्यवस्था करने के निर्देश हैं। जो 17 मार्च तक पूरी करने के निर्देश थे।


ऐसे घट गई किसानों की दिलचस्पी
2018-19 सीजन के आंकड़ों को देखा जाए तो गेहूं खरीदी के पंजीयन कराने 84 हजार 104 किसान पहुंचे थे, जबकि यह आंकड़ा 2019-20 में 64 हजार 757 की रह गया हैं। एक ही साल में 20 हजार से अधिक किसानों का खरीदी से बाहर खरीदी के प्रति रुचि न होना दर्शाता हैं। जिससे खरीदी भी प्रभावित होने वाली हैं। बता दें कि पिछले वर्ष की तुलना में गेहूं की फसल भी इस बार अ'छी है। बावजूद इसके किसानों ने समर्थन मूल्य पर गेहंू बेचने में रुचि नहीं दिखाई है।
गेहूं का रकवा बढ़ा, लक्ष्य भी अधिक
2019-20 रबी फसल में गेहूं के रकवे को देखा जाए तो वह भी बढ़कर ही हुआ हैं। पिछले साल जो 2 लाख 86 हजार हैक्टेयर रकवा में गेहूं की फसल हुई थी। जबकि इस बार यह रकवा 70 हजार हैक्टेयर तक बढ़ गया हैं। इस बार गेहूं का रकवा 3 लाख 52 हजार हैक्टेयर में हैं। जिससे गेहूं की फसल पिछले साल की तुलना में और अधिक आने की उम्मीद हैं। यहां अगर लक्ष्य की बात करें तो इस बार खरीदी का लक्ष्य भी अधिक हैं। पिछले साल की तुलना में इस बार करीब 8 लाख क्विंटल अधिक खरीदी का लक्ष्य हैं। जो किसानों की अरुचि को देखते हुए संभव नजर नहीं आता हैं।
समर्थन मूल्य भी मिल रहा है बढ़कर
गेहूं खरीदी के लिए इस बार सरकार ने सबसे Óयादा 1925 रुपए समर्थन मूल्य तय किया हैं। जबकि पिछले साल इससे कम था। इसके पहले के वर्षों में भी समर्थन मूल्य कम ही था। इसके अलावा किसानों के फर्जी खातों पर होने पर होने वाली खरीदी को रोकने के लिए भी सरकार ने इस बार व्यवस्था तैयार की हैं। बावजूद इसके किसानों ने रुचि नहीं दिखाई हैं।
रुचि नहीं दिखाने के यह है मुख्य कारण
गढ़ीमलहरा के किसान खूबसिंह ने बताया कि पिछली बार गेहूं समर्थन मूल्य पर बेचने के बाद काफी समस्याओं का सामना करना पड़ा था। इधर गेहूं बेचने के बाद राशि पाने के लिए भी कई चक्कर काटना पड़े थे। किश्तों में भी खुद की राशि मिलने से काफी परेशानी हुई थी। जबकि खरीदी के बाद कुछ किसानों की फसल को रिजेक्ट कर दिया गया था, जिससे नुकसान हुआ था। ऐसे में अनेक किसान अब समर्थन मूल्य पर गेहूं नहीं बेचना चाहते हैं। यही वजह रही कि किसानों ने इस बार पंजीयन कराना भी उचित नहीं समझा हैं।
वर्जन
किसानों ने इस बार कम पंजीयन कराए हैं। जिसका कारण पता लगाया जा रहा हैं। हालांकि, जितने किसानों ने समर्थन मूल्य पर फसल बेची थी, उसमें कमी आती है तो जरूर चिंता का विषय है।
रिंकी साहू, प्रबंधक,नागरिक आपूर्ति निगम