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रात में हुई पिता की मौत, सुबह बेटा बना पार्षद, जीतकर बोला- पिता पहले ही दे चुके थे जीत की बधाई

महाराजपुर नगर पालिका के अंतर्गत आने वाले वार्ड क्रमांक 13 के निर्दलीय पार्षद प्रत्याशी के घर पर जीतने के बाद भी मातम पसरा हुआ है।

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रात में हुई पिता की मौत, सुबह बेटा बना पार्षद, जीतकर बोला- पिता पहले ही दे चुके थे जीत की बधाई

छतरपुर. मध्य प्रदेश में बुधवार को निगरीय निकाय चुनाव के दूसरे चरण की मतगणना हुई है। जीतने वाले प्रत्याशियों के खेमें में जश्न का माहौल है तो हारने वालों के खेमें में सन्नाटा। लेकिन, सूबे के छतरपुर जिले की महाराजपुर नगर पालिका के अंतर्गत आने वाले वार्ड क्रमांक 13 के निर्दलीय पार्षद प्रत्याशी के घर पर जीतने के बाद भी मातम पसरा हुआ है। वजह है, जिस सुबह उनकी जीत का ऐलान हुआ है, उसकी पिछली रात को ही उनके पिता का निदन हो गया।

वार्ड-13 से निर्दलीय चुनाव लड़े राकेश पटेल के पिता की चुनाव परिणाम सामने आने से पहले ही देर रात को मौत हो गई। राकेश पटेल के अनुसार, उनके पिता को खोने का दुख उन्हें इतना था कि, वो ये ही भूल गए थे कि, वो चुनाव में खड़े थे और सुबह मतगणना का दिन है। उन्हें मतगणना के बारे में उस समय अहसास हुआ, जब बुधवार की दोपहर करीब 12 बजे उनके एक परिचित ने उन्हें फोन पर जीत की बधाई दी। पिता का अंतिम संस्कार करने के बाद वो जीत का प्रमाण पत्र लेने पहुंचे।

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पिता पहले ही दे चुके थे जीत का आशीर्वाद

37 वर्षीय निर्दलीय विजेता प्रत्याशी राकेश पटेल का कहना है कि, चुनावी भागदौड़ में लगे होने के कारण वो काफी चिंतित थे। लेकिन, जब वो वोट डालकर घर लौटे तो गंभीर रूप से बीमार उनके पिता ने अपने पास बुलाकर उनसे कहा था कि, 'चिंता न करो, तुम ही जीतोगे।' इस जीत का आशीर्वाद उन्होंने मुझे उसी दिन दे दिया था। हालांकि, अब मैं उनके कहे अनुसार जीत तो गया हूं, लेकिन उनके बिना इस जीत में भी खुशी मेहसूस नहीं हो रही।


सुबह होना थे परिणाम घोषित, रात में शांत हो गए पिता

राकेश पटेल ने बताया कि, बुधवार काे रिजल्ट के चलते मैं और मेरे साथी उसकी तैयारी में जुटे हुए थे। लेकिन, इसी बीच देर रात को उनके पिताजी देवीदीन पटेल की मौत हो गई। इसके बाद बुधवार की सुबह उनका अंतिम संस्कार किया गया। मेरा ध्यान रिजल्ट से हट चुका था। करीब 12 बजे मुझे परिचित का कॉल आया। उसने बताया कि, तुम चुनाव जीत गए हाे, प्रमाण-पत्र लेने आ जाओ। जीत की थाेड़ी खुशी ताे हुई, लेकिन पिता के जाने का गम ज्यादा था। बाद में मेने कार्यालय पहुंचकर प्रमाण-पत्र लिया।

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